नई दिल्ली -सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर अपनी कड़ी नाराजगी व्यक्त की है, खासकर छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा से पूरी रात पूछताछ करने और सुबह 4 बजे उनकी गिरफ्तारी को लेकर। कोर्ट ने इस मामले में ईडी की मंशा पर सवाल उठाते हुए जांच अधिकारियों के व्यवहार को “भयानक” करार दिया है।
कोर्ट की पीठ, जिसमें जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह शामिल थे, ने कहा कि ईडी अधिकारियों का अनुचित व्यवहार गिरफ्तारी को रद्द करने का आधार नहीं बनेगा, लेकिन उन्होंने इसे “परेशान करने वाला” जरूर बताया।
न्यायमूर्ति ओका ने यह भी कहा कि पहली ईसीआईआर (आर्थिक अपराध रिपोर्ट) को रद्द करने का आधार किसी पूर्व अपराध की अनुपस्थिति पर आधारित था। हालांकि, अदालत ने कहा कि वह इस मामले में जांच की वैधता पर विचार नहीं कर रही, बल्कि उसका मुख्य ध्यान इस बात पर था कि क्या गिरफ्तारी अवैध थी।
SC ने टुटेजा को जमानत की याचिका दायर करने की अनुमति दी इसके बाद, न्यायमूर्ति ओका ने ईडी के वकील से पूछा कि क्या वे इस मामले में विस्तार से निष्कर्ष चाहते हैं, क्योंकि अगर अदालत अपना तर्क दर्ज करती है तो इसका जमानत पर प्रभाव पड़ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अनिल टुटेजा को अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका वापस लेने और निचली अदालत से जमानत की याचिका दायर करने की अनुमति दी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले में एक बात खासतौर पर परेशान करने वाली है, जिसे वह व्यक्त करना चाहते हैं।
कोर्ट को दी गई ये जानकारी
कोर्ट को बताया गया कि 20 अप्रैल 2024 को शाम करीब 4:30 बजे अनिल टुटेजा रायपुर स्थित एसीबी कार्यालय में बैठे थे, जब उन्हें ईडी द्वारा समन भेजा गया। पहले उन्हें रात 12 बजे ईडी के समक्ष पेश होने का समन दिया गया था, फिर बाद में 5:30 बजे उन्हें एक और समन देकर ईडी दफ्तर ले जाया गया।
पूरी रात उनकी पूछताछ की गई और सुबह 4 बजे उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इस घटनाक्रम को कोर्ट ने अपने आदेश में प्रमुख रूप से रेखांकित किया है।
अदालत जमानत पर प्राथमिकता से विचार करे: SC
सुनवाई के दौरान पीठ ने निर्देश दिया कि अनिल टुटेजा को जमानत के लिए याचिका दायर करने की स्वतंत्रता दी जाए और यदि ऐसे आवेदन किए जाते हैं तो संबंधित अदालत जमानत पर प्राथमिकता से विचार करेगी। इस दौरान, ईडी के प्रतिनिधि एसवी राजू ने कोर्ट को सूचित किया कि ऐसी घटनाओं से बचने के लिए एजेंसी को उपचारात्मक उपाय करने होंगे।
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