90 करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार करने के बाद आईआरसीटीसी के अफसरों की लापरवाही से एक दिसंबर से सिरगिट्टी स्थित रेल नीर प्लांट बंद हो गया।
यहां से बिलासपुर, रायपुर व दुर्ग स्टेशन समेत झारसुगुड़ा, रांची व धनबाद में भी पानी बॉटल की सप्लाई होती थी। इसके.यही नहीं, छत्तीसगढ़ सरकार पर पांच साल में 13.40 करोड़ रुपए जल की देनदारी भी छोड़ दी है। यह प्लांट आगे चलेगा या नहीं, 13.40 करोड़ रुपए कौन चुकाएगा, यह जवाब देने के बजाय आईआरसीटीसी के अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि कहीं यह निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने की साजिश तो नहीं?
मार्च 2017 में दस करोड़ की लागत से सिरगिट्टी में रेल नीर प्लांट लगाया गया था। इसकी सप्लाई प्रमुख स्टेशनों के साथ-साथ ट्रेनों में भी होती थी। ब्रांडेड व लोकल ब्रांड के पानी बॉटल की कीमत जहां 20 रुपए थी, वहीं रेल नीर 15 रुपए लीटर में मिलता था, इसलिए सबसे ज्यादा इसकी मांग होती थी।इसके बाद भी रेलवे और आई आर सीटी सी ने लापरवाही की।
आईआरसीटीसी ने कोलकाता की जिस कंपनी को प्लांट चलाने का ठेका दिया था, उसने एक महीने पहले यानी अक्टूबर में ही प्रबंधन को पत्र भेजकर एक दिसंबर से प्लांट बंद करने की जानकारी दे दी थी। इस बीच कंपनी को जल कर की बकाया राशि जमा करने कहा गया तो कंपनी ने इनकार कर दिया।इसके बाद कंपनी ने नए ठेके के लिए टेंडर ही नहीं किया, क्योंकि करीब पांच सालों में 13 करोड़ 40 लाख 17 हजार रुपए बकाया हो गया था। यह राशि जमा कराए बिना किसी अन्य को ठेका नहीं दिया जा सकता था।
जलकर की यह राशि आईआरसीटीसी को राज्य शासन को देनी है। इतनी बड़ी देनदारी से पीछे हटते हुए आईआरसीटीसी ने प्लांट को बंद कर दिया है। जल कर जल संसाधन विभाग तय करता है। आईआरसीटीसी ने जनवरी 2020 से जलकर अदा नहीं किया है।
ऐसे शुरू हुआ जलकर का विवाद मार्च 2017 में आईआरसीटीसी ने सिरगिट्टी में रेल नीर प्लांट की शुरुआत की। उस समय राज्य शासन ने 4 रुपए 38 पैसा प्रति 1000 लीटर के हिसाब से जल कर तय किया था। एग्रीमेंट होने तक इस राशि का तीन गुना चार्ज लेना निर्धारित किया गया। राज्य सरकार ने जनवरी 2020 में जलकर में संशोधन करके उसे 375 रुपए प्रति 1000 लीटर कर दिया।जब विरोध हुआ, तब राज्य शासन ने अक्टूबर 2020 में इसमें संशोधन करते हुए जलकर की राशि को 250 रुपए कर दिया। तब ये यह जलकर निर्धारित है।
इसमें भी तीन गुना के हिसाब से जल संसाधन विभाग ने चार्ज करना शुरू किया लेकिन आईआरसीटीसी ने राशि जमा नहीं कराई।प्रतिदिन औसत 5 लाख रुपए की बिक्री जानकारी के मुताबिक रेल नीर प्लांट शुरू होने के बाद पानी बोतल की डिमांड लगातार बढ़ती गई। पांच सालों में औसत प्रतिदिन 35 से 40 हजार पानी बोतल आईआरसीटीसी ने बेची है। अगर इसकी राशि का आंकलन किया जाए तो यह औसत 5 लाख प्रतिदिन होता है।
अगर इतनी ही राशि को 1796 दिनों में जोड़ा जाए तो यह राशि 90 करोड़ से अधिक होती है।आईआरसीटीसी ने जिस कंपनी को ठेका दिया था अगर उसने इतना बिक्री की है, तो उसे जलकर देने में पीछे नहीं होना था। प्लांट बंद होने तक 48 हजार पानी बोतल प्रतिदिन की सप्लाई की गई है।
जानिए…कहां कितनी सप्लाई सिरगिट्टी स्थित रेलनीर प्लांट से प्रतिदिन बिलासपुर रेलवे स्टेशन को 18 हजार पानी बोतल, रायपुर और दुर्ग स्टेशन को 14 हजार 400 बोतल, झारसुगुड़ा रेलवे स्टेशन को 6 हजार बोतल, , बिलासपुर वंदे भारत को 500 एमएल 1680 बोतल, दुर्ग वंदे भारत को 500 एमएल की 1680 बोतल सप्लाई की जाती थी। 10 हजार बोतल ही बची सिरगिट्टी स्थित प्लांट में 1 लीटर वाली पानी बोतल है ही नहीं। पूरी सप्लाई की जा चुकी है। पूरा प्लांट खाली है। मशीनें बंद की जा चुकी हैं। पानी बोतल के कैरेट रखने वाले सभी रैक खाली हैं। 500 एमएल वाले 833 कैरेट यानी 19994 बोतल पानी ही वहां पर रखे हैं, जो कि एक-दो दिन में डिस्पैच हो जाएगा।