नई दिल्ली -सुप्रीम कोर्ट ने एक टिप्पणी करते हुए कहा कि आपराधिक मामले में जमानत के चरण में हाई कोर्ट साक्ष्यों पर विचार और व्यक्ति की दोष सिद्धि पर फैसला नहीं कर सकते। इस टिप्पणी के साथ इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया जिसमें हाई कोर्ट ने आरोपित के विरुद्ध हत्या के मामले के गुणदोषों पर व्यापक टिप्पणियां की थीं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपराधिक मामले में जमानत के चरण में हाई कोर्ट साक्ष्यों पर विचार और व्यक्ति की दोष सिद्धि पर फैसला नहीं कर सकते।
दरअसल, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने इसके साथ ही इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया जिसमें उसने आरोपित के विरुद्ध हत्या के मामले के गुणदोषों पर व्यापक टिप्पणियां की थीं।
पीठ ने कही ये बात
पीठ ने कहा, ‘जमानत के चरण में हाई कोर्ट साक्ष्यों पर विचार नहीं कर सकते और न ही यह फैसला कर सकते हैं कि व्यक्ति दोषी है अथवा नहीं। हम इस आदेश को एक दिन भी बरकरार नहीं रख सकते। अगर हम इस आदेश को एक दिन भी जारी रखने की अनुमति देंगे तो हाई कोर्टों को जमानत के चरण में ही आरोपित को दोषी ठहराने या बरी करने की छूट मिल जाएगी।’
जानिए किस मामले में कोर्ट ने की टिप्पणी?
उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 27 मई को अमित कुमार नामक व्यक्ति को जमानत प्रदान करते हुए कथित रूप से मामले के गुणदोषों पर टिप्पणियां की थीं। शीर्ष अदालत ने नए सिरे से विचार के लिए मामले को वापस हाई कोर्ट को भेज दिया और कहा कि उसने मामले के गुणदोषों पर कोई राय व्यक्त नहीं की है।सुप्रीम कोर्ट अमित कुमार को प्रदान की गई जमानत को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था। एफआइआर के अनुसार, मुरादाबाद जिले में पुरानी रंजिश के कारण अमित कुमार और अन्य ने 10 अगस्त, 2023 की शाम करीब छह बजे अनुज चौधरी पर फायरिंग की थी।
सुप्रीम कोर्ट अमित कुमार को प्रदान की गई जमानत को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था। एफआइआर के अनुसार, मुरादाबाद जिले में पुरानी रंजिश के कारण अमित कुमार और अन्य ने 10 अगस्त, 2023 की शाम करीब छह बजे अनुज चौधरी पर फायरिंग की थी।
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