बाबा की कुटिया पर खाने के लिए पहुंचता है भालुओं का कुनबा।छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में भालुओं के कुनबे का बाबा के प्रति अनोखा प्रेम आश्चर्यजनक है। चार भालू रोजाना बाबा के कुटिया में पहुंचते हैं।
बाबा उन्हें खाना और बिस्किट देते हैं। भालू आराम से खाने के बाद लौट जाते हैं। यह सिलसिला सालों स.दरअसल, जनकपुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत सेरी के आश्रित ग्राम उचेहरा में राजामांडा जंगल के किनारे बाबा की कुटिया है। वो यहां एक महिला के साथ रहते हैं। भालुओं में दो व्यस्क और दो शावक हैं।भालुओं में दो व्यस्क और दो शावक हैं।
भालुओं के पहुंचते ही सेवा में लग जाते हैं बाबाबाबा की कुटिया में चार भालू रोज दोपहर में दस्तक देते हैं। ये भालू जंगल से निकलकर बाबा की कुटिया के पास आते हैं। बाबा और उनकी साथी महिला भालुओं के लिए बाहर नादों में खाना और पानी में सत्तू-आटा घोलकर पेय रखते हैं। जिसे भालू आकर चाव से खाते हैं।भालू के पहुंचने पर बाबा खुद भालुओं को रोज अपने हाथों से कुछ न कुछ खिलाते हैं।
अक्सर वे बिस्किट के पैकेट खोलकर भालुओं को बांटते हैं। इस दौरान वे भालुओं को छूते और सहलाते भी हैं। जिसके बाद भालू वापस जंगल में चले जाते हैं।बाबा अक्सर बिस्किट के पैकेट खोलकर भालुओं को बांटते हैं।4 साल से पहुंच रहे भालू, बाबा बुलाते हैं सीता राम स्थानीय लोगों ने बताया कि, 4 साल से भालू बाबा की कुटिया में आ रहे हैं।
बाबा उन्हें सीताराम बुलाते हैं। पहले तीन भालू आते थे, अब इनकी संख्या चार हो गई है। संभवतः छोटा भालू उनका शावक है। लोग बाबा के कुटिया में भालुओं को देखने के लिए भी पहुंचते हैं।ग्राम पंचायत भगवानपुर के सरपंच राजेंद्र सिंह ने बताया कि, इन भालुओं ने अब तक बाबा या किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया है। इसी तरह से भालू भगवानपुर के मंदिर में भी आते हैं और प्रसाद खाकर लौट जाते हैं।
MCB में भालुओं की बड़ी तादादMCB जिले का बड़ा इलाका घने जंगलों से घिरा है। MCB सहित कोरिया से लेकर मरवाही के जंगलों में भालुओं की खासी तादाद है। हालांकि अन्य इलाकों में भालुओं के हमले की कई घटनाएं हो चुकी हैं। लेकिन यहां अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है ।
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