ओलंपिक गर्ल मनु भाकर रायपुर पहुंचीं। एक कार्यक्रम के दौरान वह भीड़ की धक्का-मुक्की का शिकार हो गईं। यह अजीब मोमेंट कमरे में कैद हो गया ।
भीड़ की इस हरकत की वजह से मनु भाकर थोड़ा असहज होती भी दिखीं। मगर मीडिया के कैमरे सब कुछ रिकॉर्ड कर रहे थे। मनु ने.पेरिस ओलिंपिक में शूटिंग में दो मेडल जीतने वाली मनु भाकर ने रायपुर में आयोजित इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। समापन के मौके पर उन्होंने जीतने वाली टीमों को सम्मानित किया।
मीडिया से चर्चा में मनु ने कहा देश में खेल को लेकर अच्छा माहौल है, खेलो इंडिया एक्सीलेंस सेंटर से लेकर ग्रासरूट लेवल पर सरकार की ओर से कई सेंटर्स चलाए जा रहे हैं।मनु ने कहा- बड़े टूर्नामेंट में भारत मेडल तालिका में पीछे क्यों रहता है? इस पर ओलिंपिक मेडलिस्ट ने कहा कॉन्फिडेंस की कमीं के कारण हम चौथे पांचवें स्थान पर रह जाते हैं।
मनु ने कहा कि जो हार मान लेता है, वो खिलाड़ी नहीं होता। हार कर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं।छत्तीसगढ़ बना चैम्पीयन अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता में छत्तीसगढ़ ने पहला स्थान हासिल किया। स्टेट को ओवरऑल चैम्पियन का अवॉर्ड मिला।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने विजेता खिलाड़ियों को ट्रॉफी दी। इस मौके पर राज्यपाल रमेन डेका ने अपने वीडियो संदेश में खिलाड़ियों को बधाई और शुभकामनाएं दी।प्रतियोगिता में छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों ने 97 गोल्ड, 44 सिल्वर, 33 कांस्य पदक के साथ कुल 731 प्वाइंट्स हासिल किए। प्रतियोगिता में दूसरे स्थान पर केरल ने 38 गोल्ड, 37 सिल्वर, ब्रोंज 27, कुल अंक 389 के साथ दूसरा स्थान प्राप्त किया। तीसरा स्थान मध्यप्रदेश ने 38 गोल्ड, 27 सिल्वर और 26 कांस्य पदक के साथ कुल अंक 363 प्राप्त किया।
समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने खेल के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि खेल व्यक्तित्व विकास के लिए अहम होता है उन्होंने सभी खिलाड़ियों का बधाई दी। समारोह की अध्यक्षता कर रहे वन मंत्री केदार कश्यप ने आयोजन की सफलता के लिए वन विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को बधाई दी।शूटिंग छोड़ने का इरादा कर लिया था मनु भाकर टोक्यो ओलिंपिक में मेडल नहीं जीत पाईं थीं।
तब उन्होंने अपनी मां सुमेधा भाकर से कहा मैं विदेश जाकर फैशन डिजाइनिंग और मार्केटिंग मैनेजमेंट का कोर्स करना चाहती हूं। सुमेधा ने भी हामी भर दी और मनु की पिस्टल अलमारी में रख दी। लेकिन मनु इससे बहुत दिन दूर नहीं रह पाई। वो फिर प्रैक्टिस पर जाने लगी। एक बार फिर वो ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीत लाईं। टोक्यो ओलिंपिक में पिस्टल खराब होने की वजह से मनु 12वें नंबर पर रहीं थीं। इस खराब एक्सपीरियंस के बारे में मनु से पूछा गया, तो उन्होंने जवाब दिया- जो बीत गया, सो बीत गया।
मैं कुछ बदल नहीं सकती हूं। बेस्ट पॉसिबल जो हो सकता था, मैंने उस टाइम पर भी ट्राई किया। मुझे लगता है कि पास्ट को पास्ट ही रहने दें तो अच्छा होगा।’बॉक्सर थीं मनु, आंख पर लगी थी चोट मनु भाकर हमेशा से शूटर नहीं थी। मनु के पिता रामकिशन उन्हें बॉक्सर बनाना चाहते थे, बड़े भाई भी बॉक्सर ही थे। मनु ने बॉक्सिंग शुरू की और नेशनल इवेंट में मेडल भी जीते। लेकिन एक दिन प्रैक्टिस के दौरान मनु की आंख पर पंच लगा, आंख बुरी तरह सूज गई।
मनु ने बॉक्सिंग छोड़ने का मन बना लिया। मां सुमेधा ने भी पापा से साफ कह दिया कि जिस खेल में बेटी को चोट लगेगी, वो नहीं खेलने दूंगी। मनु ने बॉक्सिंग छोड़ दी और मार्शल आर्ट्स में हाथ आजमाया, लेकिन यहां भी मन नहीं लगा। आर्चरी, टेनिस, स्केटिंग की प्रैक्टिस शुरू की, मेडल भी जीते, लेकिन किसी में मन नहीं लगा।
आखिर में शूटिंग वो खेल था, जिसमें मनु को मजा भी आने लगा और वे इसमें बेहतर होती गईं। मनु भाकर से जुड़ी खबर पढ़ें तो बॉक्सर होतीं 2 ओलिंपिक मेडल जीतने वाली शूटर मनु:आंख पर चोट लगी तो बॉक्सिंग छोड़ी, आर्चरी-टेनिस-स्केटिंग के बाद शूटिंग को चुनापेरिस ओलिंपिक में शूटिंग में दो मेडल जीतने वाली मनु भाकर हमेशा से शूटर नहीं थी।
मनु के पिता रामकिशन उन्हें बॉक्सर बनाना चाहते थे, बड़े भाई भी बॉक्सर ही थे। मनु ने बॉक्सिंग शुरू की और नेशनल इवेंट में मेडल भी जीते। लेकिन एक दिन प्रैक्टिस के दौरान मनु की आंख पर पंच लगा, आंख बुरी तरह सूज गई।
Editor In Chief