रायपुर में ‘वास्तु विज्ञान में अष्टलक्ष्मी का स्वरूप’ पर सेमिनार।तेरापंथ महिला मंडल रायपुर ने रविवार को ‘वास्तु विज्ञान में अष्ट लक्ष्मी का स्वरूप: दिशा भी बदल सकती है जीवन की दशा और दिशा’ पर सेमिनार का आयोजन किया। यह आयोजन आचार्य महाश्रमण के शिष्य मुनि सुधाकर और मुनि नरेश कुमार के सान्निध्य में हुआ।.कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।
रायपुर पश्चिम विधायक राजेश मूणत और हरिभूमि संपादक हिमांशु द्विवेदी ने विशेष अतिथि के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। सेमिनार का आयोजन टैगोर नगर स्थित श्री लाल गंगा पटवा भवन में किया गया।सेमिनार में बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।काल और भाव पर भी ध्यान देना अनिवार्यमुनि सुधाकर ने जैन आगमों के प्रमाण के साथ बताया कि वास्तु की भूमिका में द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव पर भी ध्यान देना अनिवार्य है। हम जैन ज्योतिष और वास्तु के आधार पर स्वस्थ, सुखी और समृद्धि दायक जीवन जी सकते हैं।
मुनि ने सरल भाषा में बताया कि वास्तु विद्या का गहन संबंध दसों दिशाओं और पांचों तत्व जल, अग्नि, पृथ्वी, वायु और आकाश के साथ है। आपने वास्तु के विभिन्न बिंदुओं को रेखांकित करते हुए बताया कि हम अपने स्वभाव और व्यवहार से रिश्तों में मधुरता, पवित्रता और सुदृढ़ता भर सकते हैं। उज्जवल भविष्य की राह को उन्नत बना सकते हैं।परिवार में बढ़ेगा प्रेम और सामंजस्यसाथ ही परिवार में प्रेम, सौहार्द और सामंजस्य को बढ़ा सकते हैं।
मानसिक आनंद, प्रसन्नता और आरोग्य को प्राप्त कर सकते हैं। मुनि ने अनेकों अहिंसक और आध्यात्मिक प्रयोग बताए जिनसे भाग्योदय का जागरण हो सके। मुनि सुधाकर ने आगे अष्टलक्ष्मी स्वरूप को विस्तार से समझाते हुए प्रत्येक लक्ष्मी की हमारे जीवन में उपयोगिता और उनकी दिशाओं के बारे में उपस्थित जनसमूह को मार्गदर्शित किया।रायपुर में वास्तु विषय पर सेमिनार का आयोजन।वास्तु को साध सफलता प्राप्त कर सकते हैंहिमांशु द्विवेदी ने कहा कि अगर हम स्वयं के जीवन के वास्तु को साध ले तो सफलता का अर्जन कर सकते हैं।
मुख्य अतिथि डॉ रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में उत्खनन में प्राप्त हो रही पुरातात्विक मूर्तियों के प्रमाण को देखें तो प्रतीत होता है जैन धर्म छत्तीसगढ़ का प्राचीन धर्म है।उन्होंने ने आगे कहा कि वास्तु के विषय में जो विस्तृत जानकारी प्राप्त हुई, उसको प्रयोग में लाकर हम अपने जीवन का कल्याण कर सकते हैं। सेमिनार में स्वागत स्वर अध्यक्षा नेहा जैन, संचालन प्रतिभा पोकरना और आभार मंत्री मधुर बच्छावत ने किया। सेमिनार में नमित जैन, तिलोकचंद बरडिया, अभिलाष कटारिया, राजेश सिंघी, हर्षद सेठ, अशोक पटवा, कीर्ति जैन, अनुराग जैन की सहभागिता रही।
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