छत्तीसगढ़ में हाथी-मानव द्वन्द कम करने और जनहानि को कम करने के लिए वन्य जीव प्रेमियों ने मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री को पत्र लिखा है। सभी ने अपने संयुक्त पत्र में हाथियों से प्रभावित फसलों की वर्तमान में निर्धारित मुआवजा राशि रुपए 9 हजार से बढ़ाकर रु.अपने पत्र में वन्यजीव प्रेमियों ने कहाकि मुआवजे की राशि बढ़ाने से किसानों और ग्रामीणों की नाराजगी कम होगी और फसल बचाने जाते वक्त अचानक हुए हमलों से होने वाली जनहानि में भी कमी आएगी।
हाथियों से फसल नुकसान बचाने के लिए किसान खेतों में सोने नहीं जायेंगे। इससे हाथी मानव द्वन्द कम होगा।देश के 1 प्रतिशत हाथी लेकिन जनहानि दर 15 प्रतिशतपत्र में बताया गया है कि वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट के अनुसार छत्तीसगढ़ में देश के 1 प्रतिशत हाथी है जबकि हाथी मानव द्वन्द से जनहानि की दर 15 प्रतिशत से अधिक है। वर्तमान में हाथियों बर्बाद करने के लिए जो मुआवज दिया जाता है।
वह साल 2016 के 9 हजार प्रति एकड़ के हिसाब से दिया जा रहा है।साल 2016 में धान की मिनिमम सेलिग प्राइस1410 प्रति क्विंटल थी। छत्तीसगढ़ में धान की सरकारी खरीदी दर बढ़ कर 2024 में रुपए 3100 प्रति क्विंटल हो गई है। तुलना करने पर रुपए 1410 से 120 प्रतिशत बढ़ कर 2024 में 3100 प्रति क्विंटल हो गई है। लेकिन हाथियों से होने वाले फसल के नुकसान करने कम है।
इसे बढ़ा प्रति एकड़ 50 हजार रुपए करना चाहिए।बजट की सिर्फ 0.05 प्रतिशत राशि से जन हानि कम होगीवन्य जीव प्रेमियों अपने पत्र में कहा कि वर्तमान में, छत्तीसगढ़ में हाथियों द्वारा फसल हानि पर रुपए 9 हजार प्रति एकड़ की दर से औसत क्षतिपूर्ति रुपए 15 करोड़ प्रतिवर्ष दी जाती है।
अगर धान फसल की क्षतिपूर्ति रुपए 50 हजार प्रति एकड़ कर दी जाती है तो राज्य सरकार को 65 करोड रुपए का अतिरिक्त व्यय आएगा।जो कि राज्य के रुपए 1,25,000 लाख करोड़ के बजट का सिर्फ 0.05 प्रतिशत ही होगा। क्षतिपूर्ति राशि मिलना सुनिश्चित पाए जाने पर ग्रामीणों में नाराजगी कम होने के साथ साथ किसानों/ग्रामीणों के बीच मानव-हाथी द्वन्द कम होगा जिससे जनहानि कम होने के साथ साथ वन्य प्राणी की भी रक्षा होगी और जन हानि पर दी जाने वाली राशि भी कम होगी।
इसी के साथ अन्य फसलों पर भी अतिरिक्त क्षतिपूर्ति राशि की भी मांग की गई है।किसानों को फसल हानि की क्षतिपूर्ति भुगतान के लिए एप विकसित किया जायेपत्र में मांग की गई है कि किसानों को फसल नुकसान की क्षतिपूर्ति भुगतान करने की लिए कम से कम 33 प्रतिशत फसल के नुकसान की शर्त खत्म की जाये और फसल नुकसान की क्षतिपूर्ति भुगतान के लिए एप विकसित किया जावे ताकि किसानों को भुगतान हो सके।
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