छत्तीसगढ़ के प्राथमिक (पीएचसी) और सामुदायिक (सीएचसी) स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है। ग्रामीण इलाकों के हेल्थ सेंटरों में स्थिति ज्यादा खराब हैं।
कई सेंटरों में विशेषज्ञ तो दूर डॉक्टर तक नहीं हैं। केंद्रीय स्वास.रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण इलाकों के सीएचसी में सर्जन, फिजीशियन, शिशु रोग और प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं के बराबर है। यहां लगभग 88 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि डाक्टरों और विशेषज्ञों के अलावा रेडियोग्राफर, फार्मासिस्ट, लैब तकनीशियन और नर्सिंग स्टाफ भी नहीं है। कई सेंटरों में इनके 75 फीसदी तक पद खाली हैं। डॉक्टरों और मेडिकल ऑफिसर के 45 फीसदी पद खाली हैं। प्रदेश में उप स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या ग्रामीण क्षेत्रों में 5138 और शहरी क्षेत्र में 370 है।इसलिए बढ़ रही शहर के बड़े अस्पतालों में मरीजों की भीड़ग्रामीण हेल्थ सेंटर खोलने का प्रमुख उद्देश्य बड़े सरकारी अस्पतालों का मरीजों की भीड़ कम करना था, लेकिन डॉक्टरों की कमी के कारण मरीज इलाज के लिए शहर पहुंच रहे हैं। इससे शहर के अस्पतालों में मरीजों का दबाव बढ़ता जा रहा है। 700 बिस्तर वाले अंबेडकर अस्पताल में 1200 बेड लगाए जा चुके हैं। इसके बावजूद कई बार एक बिस्तर पर दो मरीजों को भर्ती करना पड़ जाता है। अस्पताल की ओपीडी में रोज 2000 से ज्यादा मरीज पहुंच रहे हैं। इस तरह यहां मरीजों की संख्या बढ़ रही है।