नवरात्रि के पूरे 9 दिन डोंगरगढ़ की मां बम्लेश्वरी अन्न का त्याग करेंगी। माता को सामान्य दिनों की तरह चावल, दाल, सब्जी या किसी तरह के अन्न का भोग नहीं चढ़ेगा।
नवरात्रि के 9 दिन मां बम्लेश्वरी भोग के रूप में सिर्फ फलाहार ग्रहण करेंगे। वहीं माता का विश्रा.मां बम्लेश्वरी मंदिर के पुजारी पंडित युवराज शर्मा बताते है कि सामान्य दिनों में माता को चावल, दाल, हरी सब्जी के भी भोग लगते हैं। लेकिन नवरात्रि के दौरान माता को भोग में सिर्फ फलाहार ही चढ़ता है। चैत्र और क्वांर दोनों ही नवरात्रि में यह परंपरा है। माता को पांच समय अलग-अलग फलों का भोग चढ़ाया जाता है। भोग के रूप में खीर, हलुवा, शक्कर, मिश्री, मालपुवा भी चढ़ेगा।
निशापूजा के बाद लगेगा 56 भोग, इसमें भी अन्न नहीं मां बम्लेश्वरी की कालरात्रि के रूप में सप्तमी तिथि को विशेष निशापूजा होगी। यह पूजा सबसे मत्वपूर्ण होती है। अर्धरात्रि में होने वाली इस पूजा के दौरान करीब एक घंटे मंदिर के पट बंद रखे जाते हैं। नवरात्रि के इसी तिथि को माता को 56 भोग चढ़ेगा। हालाकि इसमें भी अन्न को शामिल नहीं किया जाता।
पंडित शर्मा बताते हैं कि नवरात्रि के अलावा हर महीने के एकादशी में भी मां बम्लेश्वरी अन्न को भोग के रूप में ग्रहण नहीं करती।ब्राम्हण महिलाएं तैयार करती हैं भोजन डोंगरगढ़ के दोनों मंदिर में चढ़ने वाला भोग ब्राम्हण महिलाएं तैयार करती हैं। नीचे मंदिर के लिए एक और ऊपर मंदिर के लिए दो ब्राम्हण महिलाओं को भोजन तैयार करने की जिम्मेदारी हैं। इसके लिए मंदिर परिसर में ही पाकशाला भी तय हैं।
भोजन तैयार कर लेने पर इसकी जानकारी पुजारियों को दी जाती है। सामान्य दिनों में माता के भोजन में दाल, चावल, सब्जियां शामिल रहती है।अष्ठमी को हवन बाद श्रीफल की बलि मां बम्लेश्वरी मंदिर के पुजारी पंडित शर्मा ने बताया कि नवरात्रि के दौरान मंदिर में नारियल फोड़ना पूरी तरह मना होता है। 9 दिनों तक मंदिर परिसर में कहीं भी नारियल नहीं फोड़ा जाता। सिर्फ नारियल चढ़ाया जाता है। नवरात्रि के अष्टमी तिथि को हवन के बाद माता को श्रीफल की बलि चढ़ाने की परंपरा है। हवन पूरा होते ही बलि के स्वरूप में नारियल तोड़ा जाता है।
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