नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने अमेरिका सहित कई देशों में टीकाकरण के दौरान सामने आए दुष्प्रभावों को देखते हुए राज्यों को हर ब्लॉक में कम से कम एक दुष्प्रभाव प्रबंधन केंद्र बनाने का निर्देश दिया है। ये केंद्र प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी हो सकते हैं। स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया कि राज्यों में स्वास्थ्य कर्मचारियों का प्रशिक्षण शुरू हो चुका है। टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रभाव की घटनाएं सामने आ सकती हैं, जिसके लिए राज्यों को तैयारी करनी चाहिए।
दुष्प्रभाव मध्यम भी हो सकते हैं और गंभीर भी, लेकिन सरकार को पूरी तैयारी रखनी चाहिए। अगर किसी व्यक्ति को टीका लगने के बाद कोई दुष्प्रभाव आता है तो उसे नजदीकी केंद्र में कहां और कैसे भर्ती किया जाए, यह जिम्मेदारी राज्यों की दी गई है।
एक और स्वदेशी टीका को अनुमति
तीसरे स्वदेशी टीके पर अंतिम परीक्षण की अनुमति मिल चुकी है। भारत बायोटेक और जाइडस कैडिला के बाद अब जेनेवा फार्मास्यूटिकल कंपनी का टीका भी परीक्षण की स्थिति में पहुंच चुका है। इसे सुरक्षित रखने के लिए कम तापमान की जरूरत नहीं है। सामान्य फ्रीज के तापमान में इसे रखा जा सकता है।
देश में कोविड-19 के 15.55 करोड़ से अधिक नमूनों की अब तक जांच
राजेश भूषण का कहना है कि भारत उन देशों में है जहां प्रति 10 लाख की आबादी कोरोना के मामलों की संख्या सबसे कम है। उन्होंने बताया कि भारत में प्रति 10 लाख की आबादी पर कोरोना के मामलों की संख्या 7178 है, वहीं इसका वैश्विक औसत 9000 है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बताया कि देश में कोविड-19 के 15.55 करोड़ से अधिक नमूनों की अब तक जांच की गई है। देश में संक्रमण दर गिरकर 6.37 फीसदी हो गई है। उन्होंने कहा कि भारत में वर्तमान में कोविड-19 के कारण मृत्यु दर 1.45 फीसदी है, जो दुनिया में सबसे कम है। वही नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने दिल्ली में कोरोना संक्रमण की स्थिति पर संतुष्टि जताई। उन्होंने कहा, ‘हम यह देख कर खुश हैं कि दिल्ली में स्थिति बेहतर हुई है। हम दिल्ली सरकार और अन्य सरकारों का बधाई देते हैं जिन्होंने हाल के समय में संक्रमण को रोकने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
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