पटाखा गोदाम में मंगलवार की सुबह अचानक आग लगने से इलाके में अफरा-तफरी मच गई। आग ने कुछ ही देर में विकराल रूप ले लिया और आसपास के लोग दहशत में अपने घरों से बाहर निकल आए। हालांकि, फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाने में सफल रही, लेकिन तब तक गोदाम में रखा पूरा माल जलकर खाक हो गया। इस घटना के बाद प्रशासन की सक्रियता बढ़ गई है।
बिलासपुर: अधिकारी अब पटाखों से जुड़े व्यवसायियों की सुरक्षा मानकों की जांच करने में जुट गए हैं। जिले के चार एसडीएम 16 बिंदुओं में गोदाम और दुकानों की जांच करेंगे।तोरवा क्षेत्र के जगमल चौक स्थित पटाखा गोदाम में आगजनी की घटना मंगलवार सुबह करीब 11 बजे की है जब काम करते हुए चायनीज पापअप पटाखे का डिब्बा गिर गया। इससे पटाखे के डिब्बे में विस्फोट हुआ। साथ ही गोदाम में रखे पटाखों के दूसरे डिब्बे में आग लग गई।
मालिक नहीं पहुंचा थाने, जारी करेंगे नोटिस
तोरवा स्थित जिस पटाखा गोदाम में आग लगी थी उसका मालिक संदीप सिंह तलरेजा दूसरे दिन भी थाने नहीं पहुंचा। पुलिस उसे नोटिस जारी कर पटाखों के भंडारण संबंधी लाइसेंस और अन्य दस्तावेज की मांग करेगी। इसकी जांच के बाद पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी। एएसपी कश्यप ने कहा कि रिहायशी क्षेत्रों में पटाखों का भंडारण नियमों का उल्लंघन है। यह आम जनता के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है।
लाइसेंसी पटाखा विक्रेताओं पर नजर
पुलिस और प्रशासन अब उन सभी पटाखा विक्रेताओं पर नजर बनाए हुए हैं, जिनके पास लाइसेंस है। इन विक्रेताओं के गोदामों और दुकानों की सुरक्षा व्यवस्था का निरीक्षण किया जाएगा, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि कहीं कोई बिना लाइसेंस के अवैध रूप से पटाखों का व्यापार तो नहीं कर रहा है।
सुरक्षा मानकों की कमी
गोदाम में आगजनी की घटना सामने आने के बाद सुरक्षा मानकों की कमी सामने आई है। पटाखों के भंडारण के लिए कुछ खास नियम होते हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य है। जैसे कि गोदाम का निर्माण आग प्रतिरोधी सामग्री से होना चाहिए और गोदाम के अंदर आग बुझाने के उपकरणों की व्यवस्था होनी चाहिए।
इसके अलावा गोदाम और दुकान के आसपास के क्षेत्र में धूम्रपान पर सख्त पाबंदी होनी चाहिए।शहर में कई जगहों पर पटाखों का भंडारण, आसपास के रहवासी दहशत मेंशहर में कई जगहों पर पटाखों का भंडारण किया जाता है। यहां से आसपास के जिलों में थोक में पटाखे सप्लाई किए जाते हैं।
मंगलवार को हुई घटना के बाद पटाखा गोदाम के आसपास रहने वालों के बीच भय का माहौल है। स्थानीय निवासियों ने बताया कि वे लंबे समय से इस गोदाम को लेकर चिंतित हैं। कई बार इसकी जानकारी प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस को दी गई। इसके बाद भी शहर से पटाखों के गोदाम नहीं हटाए गए हैं।
आगजनी की घटना के बाद वे उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेगा और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए कड़े कदम उठाएगा।यहां पर है लाइसेंसी दुकान, 24 के पास भंडारण की अनुमतिशहर के खपरगंज में पटाखों के तीन लाइसेंसी दुकानें हैं। इसके साथ ही जूनी लाइन में एक, गांधी चौक के पास दो, जवाली पुल के पास दो, बैमा में एक गोदाम, राजकिशोरनगर में एक, गोलबाजार में एक, रतनपुर पुराना पोस्ट आफिस के पास एक लाइसेंसी दुकानें हैं।
इसके अलावा दो जगहों पर पटाखों पटाखों का निर्माण होता है। इनमें एक बैमा धुरीपारा में और एक तखतपुर क्षेत्र के टाडा में है। जिले में 24 व्यवसायी ने भंडारण की अनुमति ली है। व्यवसायी के पास 12 क्विंटल पटाखे और तीन क्विंटल फायर वकर्स के लाइसेंस हैं।
इन बिंदुओं पर होगी जांच
1 जिस जगह के लिए लाइसेंस लिया गया है वहीं पर भंडारण हुआ की नहीं।
2 पटाखे की दुकान रिहायशी क्षेत्र में तो नहीं है, इससे होने वाले खतरे का आकलन।
3 आपातकालीन स्थिति में फायर ब्रिगेड के आवागमन की स्थिति।
4 निर्धारित मात्रा से अधिक पटाखों का भंडारण तो नहीं।
5 आग से दुर्घटना से बचाव के लिए पर्याप्त संसाधन, रेत और पानी से भरी बाल्टियां ड्रम की पर्याप्त संख्या।
6 मूल पैकिंग से खोलकर लूज में तो नहीं रखे गए पटाखे।
7 आतिशबाजी के सामान के साथ माचिस, पेपर या क्लोरेट मिश्रण का भंडारण तो नहीं।
8 दुकान गोदाम के भीतर या बाहर ज्वलनशील पदार्थ तो नहीं। आसपास पालिथिन का जमाव या भंडारण नहीं होना चाहिए।
9 गोदाम या दुकान के बिजली की वायरिंग और फिटिंग की जांच।
10 दुकान या गोदाम के शटर खुलने पर वहां स्टापर लगे होने चाहिए।
11 कर्मचारियों की संख्या।
12 दुकान में काम करने वाले कर्मचारी और लाइसेंसी आतिशबाजी के सामान रखने, उठाने या पैक करते समय सुरक्षा उपायों की पूरी जानकारी है कि नहीं।
13 आपातकालीन समय में परिसर के भीतर किए जाने वाले उपाय और अग्निशमन यंत्रों की जानकारी है कि नहीं।
14 लाइसेंस के लिए जारी शर्तों का पालन किया जा रहा कि नहीं।
15 निर्माण स्थल में एक समय में एक जगह पर 15 किलो से ज्यादा बारूद नहीं होना चाहिए।
16 क्रय विक्रय का हिसाब
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