CG Naxal Surrender: सुकमा में 11 नक्सलियों ने किया सरेंडर, एक के सिर पर था एक लाख का इनाम…!

राजेन्द्र देवांगन
3 Min Read

सुकमा। छत्‍तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के अंदरूनी क्षेत्र में नक्सली बंदूक के जोर पर आदिवासियों पर दबाव बनाकर संगठन में भर्ती कर लेते हैं। गांव के भोले-भाले जनजातीय समुदाय के लोगों को भ्रमित कर उन्हें बंदूक थमा देते हैं। अब सुरक्षा बल के बढ़ते प्रभाव के कारण नक्सली बैकफुट पर हैं और इससे अंदरूनी क्षेत्र के जनजातीय समुदाय में समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का साहस मिल रहा है।

कोंटा क्षेत्र के अंदरूनी गांव के 11 नक्सलियों ने संगठन छोड़ कर मुख्यधारा में वापसी कर ली है। इनमें से पांच महिलाएं हैं। ये सभी जनजातीय समुदाय से हैं। वे सरकार की पुनर्वास नीति और नियद नेल्ला नार योजना से गांव में हो रहे विकास कार्य से प्रभावित थे।

छत्‍तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ मिली बड़ी सफलता, छत्‍तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ मिली बड़ी सफलता, नक्‍सलियों ने छोड़ा लाल आतंक का साथ
नक्सलियों का दबाव कम होते ही संगठन में नीचले स्तर पर सक्रिय रहे इन नक्सलियों ने बंदूक की जगह विकास का मार्ग चुना और पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। इनमें एक लाख की इनामी नक्सली गोलापल्ली एलओएस सदस्य सोड़ी भीमे पिता सोड़ी सोमा, रासातोंग पंचायत डीएकेएमएस सदस्य पोड़ियाम हुंगा पिता स्व. एर्रा, रासातोंग पंचायत केएएमएस सदस्य मड़कम पिता भीमा शामिल हैं।

इनके साथ ओयाम जोगी पति ओयाम हुंगा, अरलमपल्ली पंचायत स्कूल कमेटी अध्यक्ष दूधी हांदा पिता हड़मा, पालाचलमा पंचायत मिलिशिया सदस्य पदाम कोसी पिता पदाम केशा, अरलमपल्ली आरपीसी डीएकेएएमएस उपाध्यक्ष मड़कम देवे पिता स्व. हिड़मा, कोराजगुड़ा आरपीसी मिलिशिया सदस्य माड़वी सन्ना पिता देवा, वेट्टी भीमा पिता देवा, वेक्को आयता पिता हुंगा, दुलेड़ आरपीसी मिलिशिया सदस्य मड़कामी बुधु पिता जुन्नू,भी शामिल हैं। इन्हें ‘छत्तीसगढ़ नक्सलवाद उन्मूलन व पुनर्वास नीति’ से सहायता राशि व अन्य सुविधाएं दी जाएंगी।सुकमा में 200 से अधिक नक्‍सलियों ने किया आत्मसमर्पण

अब तक 200 से अधिक आत्मसमर्पण पुलिस के अनुसार जिले में इस वर्ष अब तक 200 से अधिक नक्सलियों ने समर्पण कर दिया है। अंदरूनी क्षेत्रों में लगातार नये कैंपों की स्थापना और आपरेशन के बाद नक्सली बैकफुट पर है। पूवर्ती, दुलेड़ जैसे सुदूर क्षेत्रों में सुरक्षा बल ने कैंप स्थापित किए हैं। इन कैंपों से लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। इसके साथ ही नीयद नेल्ला नार योजना और सामुदायिक पुलिसिंग कार्यक्रम से ग्रामीणों का भरोसा सुरक्षा बल पर बढ़ा है।

Share This Article