संविधान इजाजत देता है लेकिन लालच और दबाव देकर किसी को…’, धर्मांतरण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त;..!

राजेन्द्र देवांगन
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‘संविधान इजाजत देता है लेकिन लालच और दबाव देकर किसी को…’, धर्मांतरण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त..!
उत्तर प्रदेश:-इलाहाबाद हाईकोर्ट धर्मांतरण को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने कहा कि भारतीय संविधान किसी को धर्म अपनाने, उसमें आस्था जताने और प्रचार करने की अनुमति देता है, लेकिन यह लालच व दबाव बनाकर धर्म परिवर्तन कराने की अनुमति नहीं देता। कोर्ट ने कहा है कि धर्मांतरण कराना एक गंभीर अपराध है, जिस पर सख्ती की जानी चाहिए। इसी के साथ कोर्ट ने अनुसूचित जाति के लोगों को हिंदू से ईसाई बनाने के आरोपी की जमानत अर्जी खारिज कर दी।

कोर्ट ने कहा नागरिकों को अपना धर्म मानने, उसका पालन करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता है। किसी को भी मत परिवर्तित कराने की अनुमति नहीं है। यह आदेश जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने आंध्र प्रदेश के श्रीनिवास राव नायक की जमानत अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया।

यूपी के महाराजगंज में दर्ज की गई थी FIR
श्रीनिवास राव नायक व अन्य के खिलाफ महाराजगंज के थाना निचलौल में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। उस पर गरीब हिंदुओं को बहला-फुसला कर ईसाई बनाने का आरोप है। इनमें से ज्यादातर लोग दलित समुदाय के थे। आरोप है कि याची श्रीनिवास राव नायक ने लोगों को प्रलोभन दिया था कि ईसाई मत अपनाने से उनके सभी दुख-दर्द दूर हो जाएंगे और उनकी गरीबी दूर हो जाएगी।

इस मामले के मुताबिक सह-अभियुक्त विश्वनाथ ने महाराजगंज जिले में अपने घर पर इसी साल पंद्रह फरवरी को एक कार्यक्रम आयोजित किया था। इसमें भारी संख्या में ग्रामीणों को बुलाया गया था। इसके बाद काफी लोगों ने धर्म परिवर्तन कर लिया। याची की जमानत याचिका पर कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा गया कि उसका कथित धर्मांतरण से कोई संबंध नहीं है। वह आंध्र प्रदेश का निवासी है और उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है।
कोर्ट ने आरोपी की जमानत अर्जी खारिज की
इस मामले की सुनवाई जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने की। कोर्ट ने अपने फैसले में लोगों को हिंदू से ईसाई बनाने के आरोपी की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा है कि भारतीय संविधान लोगों को कोई भी धर्म मानने व उसका प्रचार करने की अनुमति देता है, लेकिन यह धर्म परिवर्तन कराने की अनुमति नही देता। कोर्ट ने कहा है कि धर्मांतरण के मामलों में सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है, तभी इस पर अंकुश लगाया जा सकता है।

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