कांकेर। एक मुक बधिर युवक को पिछले चार महीने से दिव्यांगता प्रमाण पत्र के लिए शासकीय चिकित्सालय कांकेर का चक्कर काटना पड रहा है। लाचार दिव्यांग को सरकारी डाक्टर निजी अस्पताल जाकर डॉ. मित्तल रायपुर से इलाज करा कर आने को कह रहे हैं, तब ही दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनाने की बात कह रहे हैं। इससे पहले एम्स रायपुर भेजा गया था जहां से वह पूरा जांच करवा कर आ चुका है पीड़ित सुनने एवं बोलने की छमता खो चुका है एवं आर्थिक रूप से भी परेषान है इससे पहले वह अनेको बार रिपोर्ट लेकर चिकित्सालय जा चुका था पर डॉक्टर उसे अनदेखा करके अगली बार आना बोल कर भगा देते थे इस बार तो हद ही हो गई एम्स का रिपोर्ट न मानकर एक प्राइवेट डॉक्टर के पास जो इलाज करवाओ बोलकर लिखकर दे दिए
दिव्यांग का अधिकार उनके प्रमाण पत्र के लिए किस तरह महीनों से इन्हें चक्कर लगवाया जा रहा है यह बात समाज सेवी अधिवक्ता संदीप द्विवेदी जो पूर्व में सडो कलेक्टर कांकेर थे व प्रदेश स्तर में युवा अधिकारो के लिए संघर्षरत है उन तक युवा व्हाट्सएप मैसेज द्वारा पहुंचाया तब से लेकर अनेक लोगो ने सोसल मिडिया माध्यम से डाक्टरो के इस व्यवहार के खिलाफ विरोध प्रारंभ किया जो विधायक कांकेर तक जा पहुंची है विधायक कांकेर ने कुछ माह पहले दिव्यांग युवक को उसकी स्थिति देखकर कहीं रोजगार दिलवाने में मदद की बात कही थी तभी से वह चिकित्सालय में प्रमाण पत्र के लिए घूम रहा था समाजसेवी संदीप द्विवेदी ने उक्त मामले पर प्रदेश स्तर तक शिकायत दर्ज करवाई है एवं हाई कोर्ट के एक अधिवक्ता द्वारा पूरे राज्य में दिव्यांगो की संख्या एवं उनको मिलने वाले लाभ की सुची का भी मांग किया गया है । डॉक्टर का प्राइवेट संस्थान में जांच के लिए जाने का निर्देश देना अपने आप में एक सवाल खड़ा करता है क्योंकि यह एक दिव्यांग का मामला है जिससे काफी लोगो में आक्रोश बनी हुई है