‘जहरीली भाषा बोलते हैं प्रधानमंत्री…’, मनमोहन सिंह को लेकर PM मोदी के बयान पर जयराम रमेश का बड़ा हमला..!
नई दिल्ली:-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक बयान को लेकर मुस्लिमों पर टिप्पणी की। अब इसपर विवाद शुरू हो गया है। पीएम मोदी के बयान को कांग्रेस के कम्युनिकेशन विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने जहरीला बताया है। उन्होंने पूछा कि 2021 में जनगणना क्यों नहीं कराई गई?
प्रधानमंत्री जहरीली भाषा बोलते हैं- जयराम रमेश
जयराम रमेश ने सोशल ,मीडिया प्लेटफार्म X पर पोस्ट करते हुए लिखा, “प्रधानमंत्री जहरीली भाषा में दुनिया भर की बातें बोलते हैं। उन्हें एक सीधे से सवाल का जवाब भी देना चाहिए -1951 से हर दस साल के बाद जनगणना होती आ रही है। इससे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी का वास्तविक डेटा सामने आता है। इसे 2021 में कराया जाना चाहिए था लेकिन आज तक किया नहीं गया। इस पर प्रधानमंत्री चुप क्यों हैं? यह बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान को ख़त्म करने की साज़िश है। प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को कहा था कि अगर कांग्रेस केंद्र की सत्ता में आती है तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी। उन्होंने इसको कहते हुए पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के बयान का हवाला दिया।
पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस के घोषणापत्र में कहा गया है कि अगर कांग्रेस की सरकार बनेगी तो सबकी प्रॉपर्टी का सर्वे किया जायेगा और हमारी माताओं-बहनों के पास सोना कितना है, उसकी जांच की जाएगी और इसे सबमे बांट दिया जाएगा। पीएम मोदी ने कहा था कि मेरी माताओ- बहनों ये (कांग्रेस) आपका मंगलसूत्र भी बचने नहीं देंगे।
पीएम के बयान पर राहुल गांधी ने भी किया पलटवार
पीएम मोदी के बयान को लेकर राहुल गांधी ने X पर लिखा, “पहले चरण के मतदान में निराशा हाथ लगने के बाद नरेंद्र मोदी के झूठ का स्तर इतना गिर गया है कि घबरा कर वह अब जनता को मुद्दों से भटकाना चाहते हैं।कांग्रेस के ‘क्रांतिकारी मेनिफेस्टो’ को मिल रहे अपार समर्थन के रुझान आने शुरू हो गए हैं। देश अब अपने मुद्दों पर वोट करेगा, अपने रोज़गार, अपने परिवार और अपने भविष्य के लिए वोट करेगा। भारत भटकेगा नहीं।
जानिए क्या कहा था मनमोहन सिंह ने?
2006 में राष्ट्रीय विकास परिषद की एक बैठक को संबोधित करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था, “हमें यह सुनिश्चित करने के लिए नयी योजनाएं बनानी होंगी कि अल्पसंख्यक, विशेष रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यक, विकास का फल समान रूप से साझा करने के लिए सशक्त हों। संसाधनों पर पहला दावा उनका ही होना चाहिए।
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