महाशिवरात्रि के शिव मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, हर-हर महादेव के जयघोष से गूंज रहे शिवालय..!
जांजगीर चांपा: धर्मग्रंथों में बताया गया है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इसी वजह से इस दिन को महाशिवरात्री के नाम से जाना जाता है. इसलिए हर साल महादेव के भक्त इस दिन शिवालयों में धूमधाम के साथ महाशिवरात्रि का पर्व मनाते आ रहे है. इस साल 8 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. इसलिए जांजगीर जिले की इन तीन प्रमुख शिव मंदिरों में महाशिवरात्रि की विशेष तैयारी की गई है. यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु भोलेनाथ की पूजा अर्चना करेंगे.
1. खरौद नगर का लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर: जांजगीर चांपा जिला का खरौद नगर धार्मिक नगरी के नाम से प्रसिद्ध हैं. खरौद नगर में भगवान शिव की बेहद प्रसिद्ध मंदिर है. यहां बिराजे भगवान भोलेनाथ को लोग लखनेश्वर या लक्ष्मणेश्वर महादेव नाम से पुकारते हैं. लखनेश्वर का अर्थ लाखों छिद्र वाला ईश्वर और लक्ष्मणेश्वर का अर्थ होता है- लक्ष्मण का ईश्वर. यहां के शिवलिंग की खासियत यह भी है कि शिवलिंग के लाखों छिद्र के अंदर कुंड बने हैं, जिसमें गंगा, जमुना और सरस्वती नदी का पवित्र जल है. इसलिए यहां पानी कभी कम नहीं होता. ऐसा माना जाता है कि महादेव की इस मंदिर में पूजा करने से लाखों शिवलिंग की पूजा का फल मिलता है और साथ ही छय रोग से भी मुक्ति मिलती है.
खर और दुषण की नगरी के रूप में खरौद नगर को जाना जाता है. मान्यता के अनुसार, इस मंदिर के शिवलिंग त्रेतायुग में स्वयं लक्ष्मण जी ने स्थापित किया था. राम रावण युद्ध के दौरान लक्ष्मण जी छय रोग से ग्रसित हो गए थे. तब उन्होंने इसी जगह पर शिवलिंग स्थापित कर महादेव की पूजा की और छय रोग से मुक्ति पाई थी.खरौद नगरी में इस शिवलिंग की पूजा करने महाशिवरात्रि के एक दिन पहले से ही भक्तों की लाइन लग जाती है. सुबह जब आरती के साथ मंदिर के पट खुलते हैं तो श्रद्धालुओं की भीड़ महादेव का अभिषेक करती है.
2. नवागढ़ में विराजते हैं स्वयं भू लिंगेश्वर महादेव: जांजगीर चांपा जिला के नवागढ़ में लिंगेश्वर महादेव विराजमान हैं. महाशिवरात्रि के दिन यहां विशेष पूजा अर्चना की जाती है. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि इस मंदिर में विराजे शंकर जी की स्वयं भू शिवलिंग बहुत बड़ी है. लिंगेश्वर महादेव की ऊंचाई जमीन से चार फिट ऊपर है. लेकिन ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग की गहराई का अंत नहीं है. शिवलिंग का रंग साल में दो बार बदलता भी है. यह शिवलिंग सावन में भूरा और गर्मी में काला रंग का दिखता है. सावन में यहां मेला का आयोजन भी किया जाता है. महाशिवरात्रि में सात दिनों का मेला लगता है. यह मान्यता है कि इस मंदिर में शिव जी की पूजा करने से सभी मनोकामना पूरी होती है.
3. कलेश्वर नाथ के आशीर्वाद से होती है संतान प्राप्ति ।
जांजगीर चांपा जिला के प्रसिद्ध शिवालय में एक नाम और भी है, जो पीथमपुर गांव में स्थित है. हसदेव नदी के तट में बाबा कलेश्वर नाथ मंदिर स्थित है. इस प्रसिद्ध शिव मंदिर में सावन और महाशिवरात्रि के अवसर पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है. यहां लोग श्रद्धापूर्वक शिव जी का अभिषेक करते हैं. होली त्यौहार के पांचवे दिन वैष्णव और शैव साधुओं की अगुवाई में शिव जी की पंचमुखी प्रतिमा को चांदी की पालकी में सवार कर गाजे बाजे के साथ बारात निकाली जाती है. नागा साधु हसदेव नदी में शाही स्नान कर शिव जी की स्थापना मंदिर में करते हैं. गोला पूजा के बाद साधू संतो की विदाई की जाती है.
400 साल से भी अधिक समय से यहां शिवलिंग मौजूद है. यहां पूजा करने से पेट संबंधी विकार या रोगों से मुक्ति मिलती है. यह भी मान्यता है कि यहां सुनी गोद वाली महिलाओं का गोद भर जाता है और उन्हें संतान प्रप्ति होती है. मनोकामना पूरा होने पर श्रद्धालु जमीन में दंडवत होकर भोलेनाथ की जलाभिषेक करते हैं. – प्रमुख सेवक, कलेश्वर नाथ मंदिर
महाशिवरात्रि में बाबा का सजता है दरबार: जांजगीर चांपा जिला के पीथमपुर में भी महाशिवरात्रि के दिन श्रद्धालुओं का एक और आस्था का केंद्र है,, जहां सावन भर श्रद्धालु शिव जी का जल अभिषेक करते हैं तो वही महा शिवरात्रि के दिन श्रद्धालु महादेव के दरबार में शमिल होने पहुंचते हैं. इस मंदिर से शिव जी की बारात भी निकलती है, जो देशभर में प्रसिद्ध है.
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