वन नेशन, वन इलेक्शन’ के विरोध में उतरी कांग्रेस, मल्लिकार्जुन खड़गे ने कमेटी के सामने साफ किया रुख..!
कांग्रेस ने ‘एक देश, एक चुनाव’ का बेहद कड़ा विरोध किया है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस संबंध में बनाई गई समिति को एक पत्र लिख कड़ी आपत्ति जताई है।पत्र में उन्होंने कहा कि यह एक अलोकतांत्रिक विचार है, जो संविधान की ‘संघवाद की गारंटी’ के खिलाफ है।कांग्रेस ने अपील करते हुए कहा कि इस विचार को त्याग दिया जाए और समिति को भी भंग कर दिया जाए।
कांग्रेस ने समिति अध्यक्ष से की ये अपील
पत्र में खड़गे ने कहा कि कांग्रेस ‘एक देश, एक चुनाव’ के विचार का विरोध करती है और संपन्न-मजबूत लोकतंत्र सुनिश्चित करने के लिए समिति को भंग करने की मांग करती है।उन्होंने कहा, “कांग्रेस पार्टी और देश के लोगों की ओर से मैं उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष से विनम्रतापूर्वक अनुरोध करता हूं कि वे संविधान को नष्ट करने के लिए केंद्र सरकार को उनके व्यक्तित्व और भारत के पूर्व राष्ट्रपति के पद का दुरुपयोग न करने दें।”
खड़गे बोले- विपक्ष के लिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं
खड़गे ने कहा कि समिति की संरचना राज्य सरकारों की प्रमुख विपक्षी पार्टियों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं देती और पक्षपातपूर्ण लगती है।उन्होंने कहा, “समिति की सिफारिश केवल एक दिखावा हो सकती है क्योंकि मन पहले से ही बना लिया गया है। प्रस्ताव के समर्थन में विचार पहले ही सार्वजनिक रूप से व्यक्त किए जा चुके हैं। पेशेवरों और विपक्ष का निष्पक्ष विश्लेषण गंभीर और व्यवस्थित तरीके से करने का प्रयास नहीं किया जा रहा है।”
‘एक देश, एक चुनाव’ को लोकतंत्र का मखौल बताया
खड़गे ने कहा कि विधानसभाओं को भंग करना राज्य के मतदाताओं के साथ विश्वासघात होगा।उन्होंने कहा, “अगर कोई मुख्यमंत्री सदन का विश्वास खो देता है और अन्य पार्टी सरकार बनाने में सक्षम नहीं होती है तो नीति आयोग की रिपोर्ट कहती है कि राज्य को नए चुनाव होने तक राष्ट्रपति शासन के तहत रखा जाना चाहिए। यह लोकतंत्र का मखौल होगा। किसी मुद्दे पर प्रधानमंत्री नया जनादेश मांगने का निर्णय लेते हैं तो विधानसभाएं भी भंग कर दी जाएंगी?”
ममता ने भी किया था ‘एक देश, एक चुनाव’ का विरोध
इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) प्रमुख ममता बनर्जी ने भी ‘एक देश, एक चुनाव’ का विरोध किया था।ममता ने कहा था, “मुझे आशंका है कि इस विचार की डिजाइन संविधान के मूल ढांचे को राष्ट्रपति प्रणाली में बदलने की है। संविधान समिति ने हमारे देश की विविधता को ध्यान में रखते हुए संसदीय प्रणाली अपनाई थी, लेकिन ये डिजाइन राष्ट्रपति प्रणाली की ओर झुकी नजर आती है।”
क्या है ‘एक देश, एक चुनाव’?
‘एक देश, एक चुनाव’ से आशय विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराने से है।रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक साथ चुनाव 2 चरणों में करवाए जा सकते हैं।पहले चरण में लोकसभा और कुछ राज्यों की विधानसभाओं के लिए मतदान हो सकता है। दूसरे चरण में बाकी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ हो सकते हैं।अगर राज्य सरकार बीच में गिर जाती है तो दूसरी बार में अन्य राज्यों के साथ उस राज्य में दोबारा चुनाव हो सकेंगे।
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