खम्हार खुश हुआ, मिली जगह वृक्ष संपदा योजना में…
सागौन के बाद उपयोग होने वाली दूसरी प्रजाति का बढ़ा महत्व
बिलासपुर- खुश है खम्हार, क्योंकि सरकार की महत्वाकांक्षी वृक्ष संपदा योजना में उसका भी नाम शामिल कर लिया गया है। रोपण का रकबा भले ही कम है लेकिन महत्व समझा जा चुका है, इसलिए नर्सरियों की पूछ-परख खम्हार के बीज में बढ़ती नजर आ रही है।
शुरुआत में भले ही विलंब लगा हो लेकिन पहली बार खम्हार को भी वृक्षारोपण योजना में जोड़ा जा रहा है। यह प्रयास निश्चित ही ऐसे किसानों के लिए राहत बनेगा, जो पौधरोपण के बाद मिलने वाली लकड़ियों से जीवनयापन करते हैं। यह इसलिए भी बड़ी लाभदायक योजना बनेगी क्योंकि प्रदेश में नैसर्गिक तौर पर बड़ी संख्या में खम्हार के पेड़ तैयार हो रहे हैं। अब इन्हें व्यावसायिक पहचान से जोड़े जाने के बाद इसे खेतों में जगह और बाजार में अपनी पहुंच बढ़ाते देखा जा सकेगा।
इसलिए वृक्ष संपदा में
मजबूती में सागौन से सीधा मुकाबला करता है खम्हार। घरेलू उपयोग में बहुतायत के साथ काम में आने वाली यह प्रजाति फिलहाल बेहद सीमित क्षेत्र तक ही पहुंच बनाए हुए है। व्यावसायिक पहचान से दूर खम्हार की विशेषताएं इतनी है कि इसे वृक्ष संपदा में शामिल किया गया है। योजना में शामिल करने के पीछे जो कारण सामने आ रहे हैं उनमें इसकी परिपक्वता अवधि कम होना और बाजार मूल्य ज्यादा होना मुख्य है।
इस माह लगाएं
सभी प्रकार के मौसम में खम्हार के पौधों का रोपण किया जा सकता है लेकिन सिंचाई के साधन वाले क्षेत्रों में फरवरी और मार्च का महिना बेहतर माना जाता है। ध्यान रखना होगा कि जल जमाव जैसी स्थिति नहीं बने। बीज भी ऐसे समय में लगने चाहिए। 3 गुणा 3 मीटर का अंतराल पौधरोपण के लिए सही होगा। मेड़ों में यह दूरी 2 मीटर करनी होगी। कतार में लगाना हो तो दो कतार में बीच की मानक दूरी 2 मीटर आवश्यक होगी। दिलचस्प यह कि मानक दूरी के बीच की जगह पर हल्दी की खेती भी की जा सकती है।
ऐसे बढ़ेगी आय
रोपण 3 गुणा 2 के अंतराल में किए जाने की स्थिति में छठवें साल 1 पौधे के अंतराल में दूसरे पौधे का विरलन करना होगा। इससे अंतर 4 मीटर का होगा। यह आगे के बरसों में 800 पेड़ के अतिरिक्त आय के रूप में किसानों तक पहुंचेगी। परिपक्वता अवधि 11 वर्ष मानी गई है क्योंकि इस उम्र में पहुंचने की स्थिति में पेड़ों की गोलाई 60 सें.मी.तक आ जाती है। याने प्रति पेड़ 0.3 घनफुट लकड़ी का उत्पादन पाया जा सकेगा। यदि इसे बढ़ाना हो तो कटाई 15 से 20 साल बाद करें।
जानिए खम्हार को
नैसर्गिक तौर पर तैयार होने वाली यह प्रजाति बोनी और रोपण से भी तैयार की जा सकती है। छोटी छत्र वाला खम्हार गहरा और सीधी जड़ों वाला होता है। इसलिए बढ़वार जल्द होती है। परीक्षण में इसे मेड़ों पर जल्दी तैयार होने वाला वृक्ष माना गया है। मध्यम ऊंचाई वाला खम्हार का वृक्ष असिंचित क्षेत्र में 15 से 20 वर्ष और सिंचित क्षेत्र में 11 साल की उम्र में परिपक्व हो जाता है।
खम्हार का रोपण खेती के साथ आय का एक अच्छा स्रोत है l किसान भाई खेत की मेड़ अथवा खाली पड़ी भूमि में रोपण कर आर्थिक रूप से संपन्न हो सकते हैं l खम्हार वृक्षारोपण से लगभग 10 वर्ष पश्चात अच्छी आय प्राप्त होती है l खम्हार के रोपण से प्रदेश के किसानों की गरीबी दूर होगी तथा खेती लाभ का सौदा बन सकेगी l
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर
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