हरी नहीं.. लाल भिंडी की करिए खेती, मिलेगा लागत का तीन गुना मुनाफा, हाथों-हाथ खरीद लेंगे लोग…!
हरी भिण्डी छोड़ किसानों ने अपनाया लाल भेंडी की और रुख, हो रही है तगड़ी कमाई भारत में रंग-बिरंगी सब्जियां आकर्षण का केंद्र होती है. बाजार में ये सब्जियां बड़े ही आराम से बिक जाती हैं. इनसे विज्ञान भी जुड़ा है. हर अलग रंग की सब्जी के फायदे भी अलग होते हैं. इनके सेवन से शरीर हेल्दी रहता है. आमतौर पर भारत के ज्यादातर इलाकों में हरी सब्जियों का सेवन किया जाता है, लेकिन अब ग्राहकों की डिमांड बदलने लगी है. कभी हरे रंग में मिलने वाली सब्जियां अब अलग-अलग रंगों में उपलब्ध करवाई जा रही है. ये पूरी तरह नेचुरल होती है. बस वैरायटी का फर्क होता है. उदाहरण के लिए- हरे रंग की शिमला मिर्च के साथ-साथ अब लाल और पीले रंग की शिमला मिर्च भी आ गई है, जो स्वाद और सेहत के मामले में काफी अच्छी है.
इसी तरह कई सदियों से लोगों की पंसद बनकर उभर रही हरी भिंडी को भी अब लाल रंग में उपलब्ध करवाया जा रहा है. वैसे तो हरे रंग की भिंडी के अपने ही अलग फायदे है, लेकिन लाल रंग की काशी लालिमा भिंडी आयरन, जिंक, कैल्शियम और प्रोटीन का अच्छा सोर्स है. हरी भिण्डी छोड़ किसानों ने अपनाया लाल भेंडी की और रुख, हो रही है तगड़ी कमाई इसे वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने विकसित किया है, जिसे अब उत्तर प्रदेश के साथ-साथ मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में भी खूब पसंद किया जा रहा है.
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शुरुआत में काशी लालिमा के बीजों की उपलब्धता एक बड़ा मसला थी, लेकिन अब राष्ट्रीय बीज निगम ने काशी लालिमा के बीजों को shop.mystore.in पर उपलब्ध करवाया है. किसान इस पोर्टल से बीजों को मंगवाकर आने वाले जायद सीजन (15 फरवरी से 15 मार्च) में लाल भिंडी की फसल उगा सकते हैं.
जानकारी के लिए बता दें कि लाल भिंडी ‘काशी लालिमा’ में एंथोसाइनिन पाया जाता है, जबकि हरे रंग की भिंडी में क्लोरोफिल मौजूद होता है. एंथोसाइनिन लाल भिंडा का कारक होता है. इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स भी शरीर को हेल्दी रखने में मददगार है. काशी लालिमा में फोलिक एसिड पाया जाता है, जो गर्भ में पल रहे बच्चे के मानसिक विकास के लिए बेहद आवश्यक होता है. इस भिंडी का नियमित सेवन करने पर कैंसर, डायबिटीज, हार्ट डिजीज, कोलेल्ट्रॉल जैसी बीमारियों का खतरा भी कम होता है.
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जानिए क्यों खास है लाल भिंडी काशी लालिमा
राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड की जानकारी के मुताबिक, लाल भिंडी काशी लालिमा को बाजार में ज्यादा दाम मिले है. वैसे तो लाल भिंडी को भी हरी भिंडी की तरह ही उगाया जाता है, हालांकि हरी भिंडी की तुलना में इसकी प्रति हेक्टेयर पैदावार कुछ कम है.
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काशी लालिमा की बुवाई 15 जून से लेकर 15 जुलाई के बीच 3.5 से 4 किलोग्राम प्रति एकड़ बीजों के साथ की जाती है. किसान चाहें तो जायद सीजन- 15 फरवरी से 15 मार्च के बीच 5 से 6 किलोग्राम प्रति एकड़ काशी लालिमा के बीजों की बुवाई कर सकते हैं. काशी लालिमा के बीज डालने के बाद 45 दिन के अंदर पहली हार्वेस्टिंग मिल जाती है. इस वैरायटी का हर पौधा 20 से 22 भिंडी का उत्पादन देता है. लाल भिंडी ‘काशी लालिमा’ की औसत पैदावार 150 से 180 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई है.
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