मछलीपालन एवं सूकरपालन से कर रहे हैं आय संवृद्धि…!
लीपालन एवं सूकरपालन से कर रहे हैं आय संवृद्धिमहात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत बहुत से ऐसे रोजगारपरक और आयमूलक कार्य किये जा रहे हैं। जिसका लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिल रहा हैं। योजना का उद्देश्य ना केवल लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना हैं वरन उससे लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त करना हैं जिससे ना केवल वह खुद की आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकें बल्कि अन्य लोगों को भी रोजगार के अवसर प्रदान कर सकें।
इसी क्रम में कोंडागांव जिले के फरसगांव ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत जुगानिकलार में श्रीमती काजल को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजनान्तर्गत वर्ष 2021-22 में डबरी निर्माण कार्य हेतु स्वीकृति प्रदान की गई थी। जिसके लिए शासन के द्वारा 2 लाख 95 हजार रुपए की राशि स्वीकृत की गई थी। जिससे गांव के लोगों को 1 हजार 191 मानव दिवस का रोजगार मिला, वहीं श्रीमती काजल ने भी स्वयं 80 दिन का रोजगार प्राप्त किया। वर्ष 2021-22 में डबरी निर्माण कार्य पूर्ण होने और बरसात के बाद डबरी में पर्याप्त मात्रा में पानी भरने से श्रीमती काजल बहुत ही उत्साहित हुई और वह इस डबरी में मछली पालन का कार्य कर रही हैं।
जिसमें उनके द्वारा 5 किलो कतला और पेतला नामक मछली बीज डाला गया है। जिससे इस साल उन्हें 2 क्विंटल तक उत्पादन मिलने की सम्भावना है, इस ओर वह मछलियों की बढ़वार एवं वजन के लिये खल्ली, चुन्नी इत्यादि चारा सहित सड़े गोबर के लड्डू बनाकर डबरी में डालती हैं। इसके साथ ही मत्स्यपालन विभाग के मैदानी कर्मचारियों के सलाह अनुसार सप्ताह में दो से तीन बार डबरी में जाल चलाने कहती हैं, जो मछलियों के समुचित बढ़वार में मददगार साबित हो सके। काजल को अपने मेहनत और लगन से उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में मछलीपालन के द्वारा अच्छी आमदनी प्राप्त होगी। गौरतलब है कि राज्य शासन द्वारा मछली पालन को कृषि का दर्जा प्रदान किया गया है। राज्य शासन द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ उठाकर अब छत्तीसगढ़ की महिलाएं भी मछली पालन करके आर्थिक सम्पन्नता की ओर अग्रसर हो रही हैं। वे मछली पालन करके स्वयं तो आत्मनिर्भर बन रही हैं, साथ में अन्य लोगों को भी रोजगार के अवसर उपलब्ध करा रही हैं।
इसी तरह जुगानीकलार के ही श्री सुखराम पहले से ही सूकरपालन कर रहे थे, उनके पास 3 सूकर थे, परंतु उनको रखने के लिए उनके पास उचित स्थान नहीं था। जब उन्हें ग्राम के सरपंच से यह पता चला कि नरेगा के तहत् शासन द्वारा सूकर शेड निर्माण की अनुमति प्रदान की जाती है तो
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