बिलासपुर। हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि किसी भी शासकीय कर्मचारी को लंबे समय तक निलंबित नहीं रखा जा सकता है। तय अवधि से अधिक समय तक निलंबित रखने की स्थिति में विभागीय अधिकारी को ठोस कारण बताना होगा। कारणों के आधार पर ही आगे की कार्रवाई की जा सकती है।
रायपुर निवासी रविंद्र अवारे ने वकील अभिषेक पांडेय के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर कर पुलिस अधीक्षक के फैसले को चुनौती दी है। याचिका के अनुसार वह पुलिस लाइन रायपुर में आरक्षक के पद पर पदस्थ था। उसके विरुद्घ कुछ गंभीर शिकायतें प्राप्त होने पर पुलिस अधीक्षक रायपुर द्वारा उसे फरवरी 2017 में सेवा से निलंबित कर उसके विरुद्घ विभागीय जांच प्रारंभ करने के निर्देश दिए थे। वर्ष 2020 में तीन वर्ष से अधिक की समयावधि बीत जाने के बाद भी बहाली आदेश जारी नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा अजय कुमार चौधरी विरुद्घ यूनियन आफ इंडिया में वर्ष 2015 में पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा कि यदि किसी शासकीय कर्मचारी को सेवा से निलंबित किया जाता है तो उसे अधिक से अधिक 90 दिन तक ही निलंबित रखा सकता है। यदि 90 दिन के पश्चात किसी शासकीय कर्मचारी को अधिक समय तक निलंबित रखना है तो उसका उचित एवं ठोस कारण बताते हुए निलंबन के विस्तार के लिए आदेश पारित करना पड़ेगा। परंतु याचिकाकर्ता के मामले में पुलिस अधीक्षक रायपुर द्वारा याचिकाकर्ता को अधिक समय तक निलंबित रखने के मामले में 90 दिवस पश्चात निलंबन का कोई ठोस कारण बताते आदेश पारित नहीं किया गया। मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच में हुई। प्रकरण की सुनवाई के बाद जस्टिस भादुड़ी ने रायपुर पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी कर सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित निर्देशों के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
हाई कोर्ट के निर्देश पर हुई बहाली
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट द्वारा पारित निर्देश पर पुलिस अधीक्षक कार्यालय ने गंभीरता के साथ अमल किया है। निर्देश के दो दिन के भीतर याचिकाकर्ता के निलंबन को बहाल करते हुए पुलिस लाइन रायपुर में पदस्थापना आदेश जारी कर दिया है।
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