अकलतरा नगर की चरमराती व्यवस्था … घुटने टेकता प्रशासन…

राजेन्द्र देवांगन
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ब्यूरो रिपोर्ट सीता टंडन

अकलतरा नगर की चरमराती व्यवस्था … घुटने टेकता प्रशासन…

दीपावली के 5 दिन पूर्व अकलतरा थाने में नगर की शांति समिति और पटाखा व्यापारियों की बैठक की गई थी जिसमें पटाख़ा व्यापारियों और शांति समिति के सदस्यों के अतिरिक्त नगर के बुद्धिजीवी , पत्रकार और जनप्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया था । इस बैठक में निर्णय लिया गया था कि अकलतरा नगर की मुख्य सड़कों से 3 दिनों तक भारी और चारपहिया वाहनों का प्रवेश निषेध होगा क्योंकि हर वर्ष दीपावली के समय में ट्रैफिक इतना जाम होता है कि शास्त्री चौक से लेकर अंबेडकर चौक तक पहुंचना मानो कोई जंग जीतना हो जाता है इसलिए यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया था । इसके साथ है कुछ सामान्य निर्णय लिए गए थे जो हर वर्ष लिये तो जाते हैं परंतु निभाया जाना या ना निभाया जाना आवश्यक नहीं है । भारी वाहनों के प्रवेश निषेध को लेकर लिया गया है यह निर्णय अगले दिन धनतेरस के दिन टूट गया । देखा गया कि चार पहिया वाहनों के साथ साथ टेलर भी नगर से आ -जा रहे थे और दीपावली के साजो सामान नगर के मुख्य मार्ग शास्त्री चौक से लेकर अंबेडकर चौक तक बजे हुए थे । दरअसल शांति समिति और पटाखा व्यापारियों की यह बैठक दीपावली से काफी पहले हो जानी चाहिए थी जिससे भौतिक व्यवस्था को बनाने का समय मिलता लेकिन ऐसा नहीं हुआ । अकलतरा नगर की वर्ष दर वर्ष बिगड़ती यह व्यवस्था कुछ दिनों में दूर होने वाली नहीं है क्योंकि यह नगर अब तेजी से बढ़ता हुआ नगर है और इस नगर को एक सुनियोजित विकास की आवश्यकता है जिसके विषय में मेरे द्वारा पहले भी लिखा जा चुका है । अकलतरा नगर पालिका में अधिकारी आए दिन बदलते रहते हैं और जैसा कि सभी जानते हैं कि ये अधिकारी अपने विवेक से ज्यादा जनप्रतिनिधियों के दबाव में काम करते हैं । वैसे भी आते दिन अधिकारियों के स्थानांतरण ने नगर की साधारण व्यवस्था को भी बिगाड़ रखा है ।

इस नगर को एक अधिकारी फुलफेथ , स्वतंत्र प्रभार अधिकारी की आवश्यकता है । फिलहाल वर्तमान सीएमओ स्वतंत्र प्रभार में है । अकलतरा नगर पालिका की व्यवस्था सीएमओ , तहसीलदार जनप्रतिनिधियों और सबसे बड़ी बात अकलतरा पुलिस के हाथों में है लेकिन जनप्रतिनिधियों का क्या हाल होता है यह किसी से छिपा नहीं है साथ ही अधिकारियों के आए दिन स्थानांतरण और प्रभारी सीएमओ के दोहरे जिम्मेदारियों ने अकलतरा नगर की व्यवस्था को पूरी तरह चरमरा दिया है । वास्तव में देखा जाए तो यह अव्यवस्था हर बढ़ते नगर के साथ सामने आती ही है लेकिन अगर योजना बनाकर विकास किया जाए तो यह असंभव कार्य नहीं है क्योंकि हम सब जानते हैं कि जमीन उतनी ही रहेगी लेकिन जमीन के इंच दर इंच का उपयोग कर व्यवस्था को बनाया जा सकता है परंतु इसके लिए अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को मिलकर काम करना होगा और सामंजस्य बना कर काम करना होगा जो यह भी सत्य है कि इन अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को एक दिन सामंजस्य और तालमेल बनाना भी होगा और साथ ही एक दिन ऐसा भी आएगा कि प्रशासन को कड़ाई भी दिखानी होगी । आज जिस तरह लोगों और व्यापारियों की जिद के आगे प्रशासन झुक रहा है एक दिन इस अव्यवस्था से से ही व्यवस्था बनाने की बाध्यता होगी और प्रशासन को व्यवस्था बनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा । उस समय यही प्रशासन न कोई नरमी दिखायेगा और न ही लोगों के हथकंडों से झुकेगा जैसा कि बिलासपुर में हुआ है और यह सभी बढ़ते नगरों में स्वाभाविक तौर पर होता है । समझदारी इसी में है अकलतरा नगर की व्यवस्था को अभी से बनाना शुरू किया जाए जिससे भविष्य में अकलतरा नगर की व्यवस्था बनाने में प्रशासन को लोगों के विरोध का सामना ना करना पड़े और उन्हें अनावश्यक बल प्रयोग न करना पड़े क्योंकि यह सब लंबे समय तक चलने वाला नहीं है ।

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