छत्तीसगढ़ का पारंपरिक,,,चऊर के अंगाकर रोटी ,,, Chhattisgarh ka paramparik, Angakar Roti

राजेन्द्र देवांगन
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छत्तीसगढ़ का पारंपरिक,,,चऊर के अंगाकर रोटी ,,, Chhattisgarh ka paramparik, Angakar Rot.

बिलासपुर:- यह रोटी सामान्य परांठे या रोटियों की तरह नरम नहीं होती। यह थोड़ा सख्त और क्रिस्पी होता है। इस रोटी को बेलना भी संभव नहीं है क्योंकि चावल का आटा लचीला नहीं होता है।

अंगाकर रोटी प्राचीन समय में छत्तीसगढ़ के हर घर के सुबह का नास्ता हुआ करता था.पर अब इसका धीरे धीरे लोप होता जा रहा है .इसका मुख्य कारन है चूल्हे की जगह गैस का प्रचलन . क्योंकि इसका असली स्वाद चूल्हे पर ही बनने पर आता है .

जब चूल्हे पर रखे तवा में अंगाकर के मोटे गुथे हुए तथा पहले से फुले हुए आटे को लगाया जाता है और इसे सरई के पत्ते में ढककर उसके ऊपर अंगार रखा जाता है तो रोटी दोनों तरफ से बराबर पककर बहुत स्वादिष्ट बनती थी

जिनीस :

तीन ठ बड़े कटोरी चाउर के पिसान

एक छोटे कटोरी रात कन के बाचे भात

मुरई/लउकी/खीरा (अपन पसंद से, डारना जरूरी नई हे)

नून १०-१२ सराई नई त परसा के पान

छेना/छेनहा

पातर टीना

अंगाकर रोटी बनाए के बिधि:

सबले आघु छेना मा आगी ल सुलगा के ओला बने दगा लेना हे।

आगी के दगत ले एक ठी बटकी म भात ल लेके रिमंज देना हे।

अब भात ह बने रिमजा जाहि तिहा ओइच म चाउर पिसान ल डार देना हे।

तेकर ले ओमा सुआद के हिसाब ले थोकुन नून डार लेना हे।

अब थोर-थोर पानी ल डारत जाना हे।

पिसान ह निचट पनियर झन रहए आउ निचट सुक्खा तलक झन रहए।

बने सनाए रहे ले रोटी ह कड़ा/चेम्मर नई बनए।

पिसान ला सनाए के गए ले ओला मढ़ा देवा।

(अगर रोटी म मुरई, लऊकी या खीरा डारे बर हे त ओला भात के जघा नई त भात के संगेच म घिस के डार सकत ह)

अब एक ठि पातर टीना ल सफा धो के ओमा सराई नई तो परसा के पान ला बिछा/दसा लेना हे।

पान ल हरा होना जरूरी नई हे। सुक्खा पान ल घलौ दसा सकत ह।

गांव घर मे तेल के टिपा ह रईबे करथे, ओखरे टिना म अंगाकर/पनपुरवा रोटी ह बढ़िया बनथे।

तेखर ले सनाए पिसान ल पान म बने गोलवा रोटी असन थोप लेना हे।

अउ फेर ओखर ऊपर म फेर पान ला तोप देना हे।

तेखर ले दगाए आगी म टीना सुद्धा मढ़ा देना हे।

अउ थोकुन छेना अउ अंगरा ला रोटी के ऊपर वाला के पान मा घलोक कर देना हे जेकर से रोटी ह तरी ऊपर दुनो कति ले बने चूर जाए।

थोकुन बेर ले रोटी ला ओइसनहेच चूरे देना हे।

जादा ले जादा १५ मिनट म रोटी ह निमगा ललहुँ कस हो जाही।

ए रोटी ह जेतका कम आंच म चुरही ओतके एकर सुवाद ह जादा आही।

रोटी ह चूर जाही तीहा ले ओकर ऊपर अउ तरी दूनो पार के सराई पान ला धीरे – धीरे निकाल लेना हे।

लेवा जी आप मन के अंगाकर रोटी तियार हे ।

अब इही अंगाकर/पनपुरवा के रोटी ह सील म पिसाये पताल के चटनी के संग म एतना मिठाहि के जाए देवा।

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