नेताओं ने इस सड़क के जीर्णोद्धार की झूठी घोषणाएं कर विधायक और सांसद बने बैठे हैं ,,, ग्रामीणों में आक्रोश
राकेश खरे:-बिलासपुर।। रतनपुर क्षेत्र के प्रसिद्ध और विशाल गांव लखराम को सरवन-देवरी से जोड़ने वाली सड़क पर चलना किसी मुसीबत से कम नहीं है। वैसे यह अभागी सड़क उपेक्षा के दंश से कब की मर चुकी है। अब जो कुछ बचा है। वह सड़क के निशानांत हैं। जो यह बताते हैं कि कभी यहां अच्छी खासी सड़क हुआ करती थी। लखराम समेत पूरे क्षेत्र को जानने वाले लोग यह भी जानते हैं कि सरवनदेवरी और लखराम के बीच बनी इस सड़क से सरवनदेवरी समेत आसपास के 10-12 गांव के लोग रोजमर्रा की चीजों के लिए कई दशकों से लखराम आया जाया करते हैं। इसे देखते हुए किसी मसीहा ने लगभग 30 साल पहले इस बेहद जरूरी और महत्वपूर्ण सड़क का निर्माण कराया था। लेकिन एक बार बनने के बाद इस सड़क की ओर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। जिसके चलते उपेक्षा के कोड़ों ने इसे जगह-जगह से उधेड़ना शुरू कर दिया है।
यहां के बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि सड़क का, यह बदहाल नजारा बीते 25 सालों से जस का तस बना हुआ है। इन 25 सालों में इस क्षेत्र के गांवों के वोट लेकर, ना मालूम कितने सरपंच, जनपद और ज़िला पंचायत सदस्य तथा सांसद-विधायक बनते रहे हैं। उनमें से बहुतों की किस्मत भी संवर गई। लेकिन अगर किसी की किस्मत फूटी निकली तो वह लखराम और
सरवनदेवरी के बीच बनी इस सड़क की किस्मत ही है, जो अब शायद कभी नहीं सुधरेगी।। कल-कल करती किसी जीवनदायिनी नदी की तरह, यह सड़क भी यहां के लोगों के लिए जीवन रेखा से कम नहीं है। लेकिन बीते 25 सालों में इस सड़क पर या कहें इसकी मरम्मत रखरखाव और जीर्णोद्धार पर धेला-पाई भी खर्च नहीं की गयी। जिसके कारण लगातार उखड़ते बर्बाद होते यह सड़क अब, चलने लायक भी नहीं रह गई है। जगह-जगह पानी भरे गड्ढे,कीचड़ और दलदल से सराबोर इस सड़क के हालात विकास के दावों की धज्जियां उड़ाते दिख रहे हैं। इसकी दुर्दशा से चिंतित क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधियों के द्वारा आपस में राशि का इंतजाम कर इसके हालात सुधारने की पहल की जा रही है। अब पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा क्षेत्र के अनेक गांवों में बसे लोगों की तकलीफ देखते हुए इसकी सूरत और सीरत संवारने की जो पहल की जा रही है ईश्वर उसे सफल बनाए। क्योंकि बिना उसके सालों पहले मर चुकी इस सड़क का पुनर्जन्म बेहद असंभव है।