अगर जिंदा रहना है तो उगाना होगा वृक्ष :- शेषाचार्य जी महाराज
वृक्षों की कटाई से होने वाली समस्याओं को मध्य नजर रखते हुए पं शेषाचार्य जी महाराज ने स्वयं वृक्षारोपण किए एवं उन्होंने सभी से निवेदन किया की सभी व्यक्ति वृक्षारोपण की ओर बड़े अधिक से अधिक वृक्ष लगाएं क्योंकि मनुष्य के जीवन में वृक्षों का बहुत ही विशेष महत्व है पेड़ धरती माता के बेटे हैं और हमारे मित्र भी या हम कह सकते हैं हमारे जीवन दाता भी हैं वृक्षों से हमें फल सब्जियां लकड़ियां आदि प्राप्त होती हैं लकड़ी से हमारी रोजमर्रा की जीवन में काम आने वाले फर्नीचर कागज गोंद जैसी अनेक वस्तुएं तैयार की जाती है इसके अलावा पेड़ों से बहुत सारी औषधियों को तैयार किया जाता है जो हमारे यहां शरीर से संबंधित कई प्रकार के रोगों का उपचार करने में मदद करती हैं जहां एलोपैथी इलाज में बहुत खर्चे रखते हैं ठीक उसी स्थान में वृक्षों की मदद से आयुर्वेदिक दवाइयां निशुल्क मिल जा रही हैं
हमारे भारत देश में जहां वृक्षारोपण का कार्य होता है वही उन्हें पूजा भी जाता है कई ऐसे लिखते हैं जिन्हें हमारे हिंदू धर्म में ईश्वर का निवास स्थान माना जाता है जैसे नीम का पेड़ पीपल का पेड़ बरगद का पेड़ आंवला आदि और शास्त्र के अनुसार पूजनीय कहा जाता है और साथ ही धर्म शास्त्रों में इस तरह के वृक्ष प्रकृति के सभी तत्वों की विवेचना करते हैं जिन वृक्ष की हम पूजा करते हैं वह औषधिय गुणों का भंडार भी होता है जो हमारी सेहत को बरकरार रखने में मददगार सिद्ध होते हैं आदिकाल में वृक्ष से ही मनुष्य की जीवन की पूर्ति होती थी वृक्ष के आसपास रहने से जीवन में मानसिक संतुलन और संतुष्टि मिलती है श्रीकृष्ण कहते हैं
मूलतः ब्रह्मा रूपाय मध्यतो विष्णु रुपिनः
अग्रतः शिव रूपाय अश्वव्याय नमो नमः
अर्थात वृक्षों के मूल में ब्रह्मा मध्य में विष्णु और अग्रभाग में शिव का वास होता है इसी कारण वृक्ष को नमन किया जाता है पेड़ ना केवल हमें शुद्ध हवा प्रदान करती हैं बल्कि पर्यावरण को भी सुंदर बनाती हैं जिसे देखकर हमारा मन भी शांत होता है पेड़ों पर पक्षी अपना घोंसला बनाकर रहते हैं तपती धूप से यह मनुष्य को छाया प्रदान कर उसे गर्मियों से बचाने में मदद करती है पेड़ों के ना होने से मनुष्य का जीवन संकट में आ जाएगा लेकिन आज के समय में बढ़ती जनसंख्या को देखकर लोगों के रहने हेतु वनों की कटाई कर रहे हैं जिस कारण हमारे पर्यावरण में दुष्परिणाम पड़ रहा है और मनुष्य को कई प्रकार के प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है पहाड़ों का बर्फ लगातार पिघल रहा है जिस प्रकार बाढ़ का खतरा बना रहता है पेड़ पौधे प्राकृतिक की शान हैं अगर पेड़ पौधे ही ना रहे तो हमारा जीना असंभव है जिस वृक्ष को आज हम काटते जा रहे हैं यही पेड़ पौधे खुद धूप और तूफान कहते हैं और हमें शीतल हवा छाया प्रदान करते हैं यह कहना गलत नहीं होगा कि वृक्ष हमारे मित्र हैं पेड़ों की जड़ें मिट्टी को कसकर झगड़े रहती हैं जड़ों के कारण उपजाऊ मिट्टी हवा में उड़ने से बची रहती है पेड़ पौधे ही वर्षा को नियंत्रण में रखते हैं हमें इनकी रक्षा करनी होगी और लोगों को पेड़ काटने से रोकना होगा अगर हमें एक खुशहाल जीवन व्यतीत करना है तो वृक्षों के रक्षा करना ही होगा कई प्रकार के प्राकृतिक आपदाओं और प्रदूषण से भुगतने के पश्चात अब लोगों को वृक्षारोपण का महत्व समझ में आने लगा है अब शहर से लेकर गांव तक लोगों और सरकार ने मिलजुल कर कई कार्यक्रमों की शुरुआत भी की है लेकिन वृक्षारोपण न केवल शासन प्रशासन का कार्य है बल्कि हमारा भी कर्तव्य है कि प्रत्येक नागरिक को वृक्षारोपण की ओर आगे आना चाहिए