सौंदर्यकरण के नाम पर पेड़ों की हत्या, रसायनिक पेंट लगाने के कारण सुखने लगे पेड़
मनोज शुक्ला_रायपुर, पेड़ों के तनों पर रंग-रोगन कर उस पर की गई चित्रकारी इंसानी आंखों के लिए अच्छा हो सकता है, लेकिन पेड़ों की सेहत के लिए कतई अच्छा नहीं है। रासायनिक पेंट लगने के कारण पेड़ सूखने लगे हैं। सरकारी धन से पेड़ों की हत्या की यह साजिश शहर-दर-शहर चल रही है। इसकी वजह से पर्यावरण की फिक्र करने वालों की चिंता बढ़ गई है। वन व पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाले राजधानी के नितिन सिंघवी ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर पेड़ों के जीवन के साथ खिलवाड़ रोकने की अपील की है। मुख्य सचिव को लिखे पत्र में सिंघवी ने बताया है कि पेड़ों के तनों पर पेंट करना उनके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह होता है। पेंट इत्यादि रासायनिक मटेरियल तनों की छालों के माध्यम से अंदर चले जाते हैं, जिससे उनके टिशु (ऊतक) और सेल (कोशिकाएं) की मृत्यु की आशंका बनी रहती है। कई बार इस प्रकार के रासायन पेड़ों के पोषक तत्व और आवश्यक पानी का पेड़ों के ऊपर जाने के कार्य को प्रभावित करते हैं तनों के पूरक कोशिकाओं के निर्माण के कारण बाह्य त्वचा टूट जाती है। यही वातरंध्र बन जाता है। यदि इन वातरंध्र को पेंट की मोटी परत से लेप चढ़ा दिया जाए तो गैसों के आने-जाने की प्रक्रिया रुक जाती है। इससे पेड़ -पौधों को नुकसान होने की संभावना रहती है। रायपुर- दुर्ग मार्ग पर कुम्हारी में करीब तीन किलोमीटर तक 400 पेड़ों को रंग-रोगन कर उस पर आदिवासी कलाकृति बनाई गई हैै। वहां पेंटिंग के कार्य में लगभग 38 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। इसी तरह रायपुर के आक्सीजोन समेत कई उद्यानों में भी पेड़ों के तने रंग दिए गए हैं। शहरी क्षेत्रों में गार्डन और सड़कों के किनारे लगे पेड़ों की जड़ों को कंक्रीट के पेवर से ढंक दिए गए हैं, जबकि नवंबर 2019 में संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने पेड़ों के चारों तरफ एक मीटर वृत में लगी कंक्रीट पेवर को हटाने का आदेश दिया था। इसके बावजूद किसी भी पेड़ की जड़ों से पेवर नहीं हटाए गए हैं बल्कि लगातार लगाए जा रहे हैं।
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