देखिए सीएमओ की दबंगई
परिजनों का पहले कोरोना जांच नहीं करने पर डॉक्टर को दे रही धमकी
सीएचसी रतनपुर में रविवार की घटनाउस्मान भाई,बिलासपुर। विडिओ मे सुनिए कैसे कोरोना वारियर्स सेकंड क्लास डॉक्टर व सीएचसी रतनपुर जिला बिलासपुर के प्रभारी अविनाश सिंह को अस्पताल में मुख्य नगरपालिका अधिकारी मधुलिका सिंह अपने पंडो के साथ किसी भी प्रकार से मदद की उम्मीद मत करने की खुलेआम धमकी दे रही..प्रभारी डॉक्टर कि खता इतनी थी कि बिलासपुर से लेकर आए सीएमओ के परिजनों को वीआईपी व्यवस्था देकर करोना जांच मरने से मना किया…फिर उनकी दबंगई सुनिए…. सीएमओ मुख्यालय में भी नहीं रहती ।
नगरपालिका रतनपुर की मुख्य नगरपालिका अधिकारी मधुलिका सिंह अपने पति के साथ बिलासपुर निवास करती हैं। पति में कोरोना के लक्षण दिखने पर जांच कराने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रतनपुर लेकर आई। पति की रिपोर्ट पाजिटिव आने पर उसे होम क्वारंटिन करके रविवार को गाड़ी में भरकर परिजनों को कोरोना की जांच कराने बिलासपुर से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रतनपुर ले आई।
रविवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोरोना जांच और टीकाकरण के लिए लंबी कतार लगी हुई थी। सीएमओ ने वीआईपी ट्रीटमेंट की मांग कर पहले जांच कराने के लिए दबाव बनाया। भीड़ की नाराजगी के डर से डॉक्टर ने ऐसा करने से मना कर दिया। इससे गुस्साए सीएमओ ने दबंगाई करते हुए खुलेआम धमकी देते हुए …किसी भी प्रकार की मदद की उम्मीद मत.करने की बात कही। जिसे इस विडिओ में भी सुना जा सकता है। सेकंड क्लास डॉक्टर को इस तरह सीएमओ के धमकी देने से स्वास्थ्य अमले में गहरी नारजगी हैं।वहीं इस मामले से व्यथित डॉक्टर ने मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी बिलासपुर को पत्र में घटना की जानकारी देकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रतनपुर के प्रभार से मुक्त करने गुहार लगायी है। इसकी जानकारी उन्होंने कलेक्टर बिलासपुर और अध्यक्ष चिकित्सा अधिकारी संघ को भी दी है। सीएमओ. की इस हरकत से नागरिकों में भी आकोश है साल भर से शहर करोना की विभिषिका से जूझ रहा। वहीं सीएमओ मुख्यालय मे नहीं रहती। नागरिकों को मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझना पड़ रहा। शहर के वार्डो मे पेय जल की समस्या विकराल होती जा रही। पालिका का पूरा कामकाज ठेका श्रमिकों के भरोसे चल रहा। ऐसे मे सीएमओ का मुख्यालय में न रहना और आने पर अपने निजी हित के लिए पद का इस तरह उपयोग लोक सेवा आचरण नियम 1965-66 की किस कंडिका से मिली हुई है को भी उन्होंने स्पष्ट करना चाहिए। उन्हें ये भी बताया चाहिए कि वो लोगों की मदद पद के तहत मिले दायित्वों के हिसाब से ही करती हैं ना, तो लोग फिर कानून के अनुसार काम और मदद की उम्मीद कैसे न करें। उन्हें ये भी बताना चाहिए कि डॉक्टर उनसे क्या उम्मीद कर रहे थे कि उन्हें एहसास दिलाना पड़ा कि उनसे किसी भी प्रकार की मदद की उम्मीद भी मत करें।