छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक नया विवाद सामने आया है। पंडरिया विधानसभा क्षेत्र के विधायक ईश्वर साहू पर आरोप है कि उन्होंने अपने PSO (विधायक स्वेच्छानुदान) कोटा का उपयोग अपने परिवारजनों और रिश्तेदारों को आर्थिक सहायता देने में किया, जबकि यह राशि जरूरतमंद जनता के लिए होती है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई एक सूची के मुताबिक, ईश्वर साहू ने अपने परिजनों, रिश्तेदारों और गांव के करीबियों को हजारों रुपये की सहायता राशि मंजूर की है। इस सूची में दिए गए नामों और उनके रिश्तों के विवरण से साफ है कि यह अनुदान योजनाबद्ध तरीके से “परिवारिक हित” में खर्च किया गया।
वायरल सूची में प्रमुख नाम –
क्रमांक हितग्राही का नाम संबंध ग्राम राशि
18 मोहन साहू परिवारिक पलारी ₹25,000
51 रमेश साहू कारोबारी परिवार पलारी ₹25,000
76 रामकुमार साहू परिवारिक पलारी ₹50,000
118 राधेश्याम साहू परिवारिक बुंदेली ₹35,000
97 चंदन साहू परिवारिक बुंदेली ₹30,000
109 नरेन्द्र साहू रिश्तेदार पलारी ₹25,000
81 हरिराम साहू ससुराल पक्ष दुर्ग ₹40,000
12 हितेंद्र चंद्राकर रिश्तेदार रामपुर ₹20,000
सूची में ऐसे कई नाम हैं जिनका विधायक साहू से सीधा पारिवारिक या रिश्तेदारी संबंध है।
विपक्ष का आरोप – जनता के पैसे की बंदरबांट!
विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर तीखा हमला बोला है। उनका आरोप है कि विधायक साहू ने स्वेच्छानुदान जैसे महत्वपूर्ण फंड को अपनों में बांटकर जनता के हक का हनन किया है। यह राशि उन जरूरतमंदों को दी जानी चाहिए थी, जिनके पास चिकित्सा, शिक्षा या आपातकालीन जरूरतों के लिए कोई अन्य संसाधन नहीं है।
ईश्वर साहू की सफाई – ‘कोई अनियमितता नहीं’
ईश्वर साहू ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि, “मैंने किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया। जो भी राशि दी गई है, वह नियमों के तहत जरूरतमंद लोगों को दी गई है, भले ही वे मेरे गांव के हों या परिवार के।”
क्या है PSO (स्वेच्छानुदान) फंड?
PSO फंड विधायक के विवेकाधिकार में दिया जाता है, जिससे वे आपातकालीन स्थिति में जनता की मदद कर सकते हैं। हालांकि, यह फंड जरूरतमंद, गरीब और सामाजिक कार्यों के लिए निर्धारित है, ना कि व्यक्तिगत हित के लिए।
राजनीति गरमाई, जांच की मांग तेज
विपक्ष ने इस मामले में जांच की मांग की है। यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह आचार संहिता और जनप्रतिनिधि आचरण नियमावली का उल्लंघन माना जाएगा।
क्या कहते हैं जानकार?
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि “PSO फंड का पारदर्शी उपयोग हर जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी है। इस तरह की घटनाएं जनता का विश्वास कमजोर करती हैं।”
क्या MLA ईश्वर साहू पर कार्रवाई होगी?
अब सबकी नजरें सरकार और जांच एजेंसियों पर टिकी हैं। क्या यह मामला केवल राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित रहेगा या कोई वास्तविक कार्रवाई होगी?