छत्तीसगढ़ के जगदलपुर स्थित श्री बालाजी केयर मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में मामूली चोट का इलाज कराने पहुंचे एक मजदूर से 40 हजार रुपए का बिल वसूलने और रकम न चुका पाने पर बंधक बनाने का गंभीर मामला सामने आया है। यह अस्पताल डॉक्टर देवेंद्र प्रताप सिंह और उनकी पत्नी द्वारा संचालित किया जा रहा है। डॉक्टर देवेंद्र वर्तमान में BMO (ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर) के पद पर पदस्थ हैं, जबकि वह बीते 1408 दिनों (लगभग 46 महीनों) से ड्यूटी से अनुपस्थित चल रहे थे।
जानिए क्या है मामला?
जगदलपुर के एक पेट्रोल पंप में काम करने वाला मजदूर डीहू राम विश्वकर्मा हाथ में गंभीर चोट लगने पर इलाज के लिए श्री बालाजी अस्पताल पहुंचा। एक दिन भर्ती रखने और टांके लगाने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने 40 हजार रुपए का बिल थमा दिया। मजदूर के पास रकम चुकाने की क्षमता न होने पर उसे कथित रूप से अस्पताल में बंधक बनाकर रखा गया।
जब पेट्रोल पंप संचालक संदीप पारेख ने बिल पर आपत्ति जताई और आंशिक भुगतान का प्रस्ताव रखा, तो डॉक्टर देवेंद्र तैयार नहीं हुए। मामला मीडिया और जनप्रतिनिधियों के संज्ञान में आने के बाद प्रशासन के हस्तक्षेप से मजदूर को मुक्त कराया गया।
डॉक्टर देवेंद्र पर पहले भी गंभीर आरोप
2021 में गीदम कोविड अस्पताल के प्रभारी रहते मरीज को अस्पताल से जबरन बाहर निकालने का आरोप।
लगातार 21 अगस्त 2021 से ड्यूटी से अनुपस्थित, CMHO व जिला अस्पताल ने 5 बार नोटिस जारी किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
6 जून 2022 को CMHO ने उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
एक मरीज की मौत के मामले में गलत इलाज का आरोप, जिसके बाद अस्पताल को सील किया गया था।
BMO पद पर नियुक्ति पर उठे सवाल
बावजूद इसके डॉक्टर देवेंद्र को CMHO अजय रामटेके द्वारा उप संचालक के पत्र के आधार पर BMO जैसे महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी सौंप दी गई। नोडल अधिकारी डॉक्टर श्रेयांश जैन ने भी पुष्टि की कि अस्पताल का संचालन देवेंद्र प्रताप और उनकी पत्नी कर रहे हैं।
कांग्रेस नेता का आरोप:
कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष अनिल कर्मा ने सवाल उठाए:
आखिर 1408 दिन तक अनुपस्थित रहने के बाद भी डॉक्टर पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
क्या किसी राजनेता या अफसर की शह पर इन्हें संरक्षण मिल रहा है?
नियमों को ताक पर रखकर इन्हें BMO जैसे अहम पद पर क्यों बिठाया गया?
क्या कहते हैं नियम?
अवकाश नियम-11: लगातार तीन साल अनुपस्थित रहने पर सेवा से स्वतः त्यागपत्र माना जाएगा।
आचरण नियम-7: एक माह से अधिक अनुपस्थिति पर विभागीय कार्रवाई अनिवार्य, दीर्घकालीन अनुपस्थिति पर राज्यपाल की स्वीकृति आवश्यक।
वर्तमान स्थिति:
मजदूर डीहू राम फिलहाल राजनांदगांव में निवास कर रहा है और जगदलपुर छोड़ चुका है। वहीं डॉक्टर देवेंद्र ने सभी आरोपों को नकारते हुए कहा कि उन्हें बिल की जानकारी नहीं है और उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश की जा रही है।
यह मामला प्रदेश में निजी अस्पतालों की मनमानी, प्रशासन की लापरवाही और स्वास्थ्य विभाग की कमजोर निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।