महिला आयोग की जनसुनवाई में अनोखा मामला – पहली बार किसी महिला ने स्वीकारी एडल्ट्री, वुमन कमीशन ने माना पुरुष हो रहा प्रताड़ित

राजेन्द्र देवांगन
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कोरबा: छत्तीसगढ़ के कोरबा में राज्य महिला आयोग की जनसुनवाई में बुधवार को एक ऐसा मामला सामने आया. जिससे आयोग का भी माथा चकरा गया. इस मामले में एक सरकारी शिक्षिका ने एडल्ट्री यानी व्यभिचार(विवाह से इतर किसी महिला/पुरुष से अवैध शारीरिक संबंध) को ऑन पेपर स्वीकार किया. इस दिलचस्प और रेयरेस्ट मामले में महिला आयोग ने एक पुरुष के पक्ष में फैसला सुनाया. आयोग ने यह माना कि महिला की हरकतों से पुरुष और उसका परिवार प्रताड़ित है. अध्यक्ष ने यह भी कहा कि मौजूदा परिवेश में कई महिलाएं कानून का दुरुपयोग कर रही हैं. जिससे पुरुष प्रताड़ित हैं.

जानिए क्या है पूरा मामला : राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने बताया कि सुनवाई के दौरान एक महिला शिक्षिका के प्रकरण पर आज फैसला लिया गया है. शिक्षिका की सास ने आयोग में न्याय के लिए शिकायत की थी. शादीशुदा महिला शिक्षिका एक अन्य शख्स के साथ अवैध संबंध में है. जिससे तीसरा बच्चा भी हुआ. आयोग में ससुराल पक्ष की शिकायत के बाद तीसरे बच्चे के डीएनए जांच की बात कही गई. पहले तो शिक्षिका ने जांच कराने पर अपनी सहमति दी, लेकिन बाद में उसने जांच कराने से इंकार कर दिया.

महिला आयोग की जनसुनवाई में अनोखा मामला सुनवाई में शिक्षिका ने इन पेपर यह माना कि जिस शख्स के खिलाफ उसने पूर्व में दुष्कर्म का आरोप लगाकर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करायी थी और उसे बाद में दोषमुक्त कराया था. उसी पुरुष से उसे तीसरी संतान हुई है. महिला शिक्षिका के पति और जिस व्यक्ति के साथ उसका अवैध संबंध है. उन दोनों पुरुषों का नाम मिलता-जुलता नाम है. जिसका फायदा महिला उठा रही है. इस बात के स्वीकार करने के बाद राज्य महिला आयोग ने शिक्षिका के खिलाफ फैसला दिया.

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि शासकीय नौकरी में रहते हुए कोई भी महिला या पुरूष शादीशुदा जिंदगी में तलाक लिये बगैर दूसरे अवैध रिश्ते में रहता है, तो उसके उपर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. यह सिविल सेवा आचरण के विरुद्ध है.

अध्यक्ष किरणमयी नायक ने बताया कि इस प्रकरण में आयोग ने सुनवाई करते हुए महिला शिक्षका को ससुराल पक्ष के साथ सुलह करने का मौका दिया है.
इसके साथ ही आयोग ने ससुराल पक्ष को इस केस के फैसले के प्रमाणित काॅपी देकर सुलह नहीं होने पर शिक्षिका के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई के लिए आगे बढ़ सकते हैं. यह तलाक के लिए भी एक मजबूत आधार है. वर्तमान में महिला शिक्षिका अपने तीनों संतान के साथ उनका भरण पोषण करते हुए रह रही है. जिस घर में वह रहती है, उस घर को उसके पति ने बनवाकर उसके नाम किया था. इस पूरे केस की सुनवाई के दौरान शिक्षिका के साथ पति ने रहने से इंकार करते हुए अपनी दोनों बेटियों को अपने साथ रखने की मांग की है.

16 प्रकरण किए गए नस्तीबद्ध : गौरतलब है कि बुधवार को कोरबा कलेक्टर कार्यालय के सभागार में राज्य महिला आयोग की जिला स्तरीय 10वीं जन सुनवाई आयोजित की गयी. इस जन सुनवाई में 16 प्रकरणों को शामिल किया गया. जिसमें 6 प्रकरणों को नस्तीबद्ध किया गया. जिन प्रकरणों में कोई पक्षकार नहीं आए थे, या केवल एक पक्षकार आए थे. उन्हें रायपुर की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है.

अभिभावक जबरदस्ती न करें बच्चों की शादी : देश में नीला ड्रम और हनीमून कांड जैसे घटनाओं के प्रश्न पर महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने कहा कि वर्तमान परिवेश में यह कहना गलत नहीं है कि कहीं न कहीं पुरुष प्रताड़ित हो रहे हैं. कानून का दुरुपयोग हो रहा है, लेकिन ऐसा नहीं है कि महिलायें कभी अपराधी नहीं रहीं. महिलाएं पहले भी क्राइम में शामिल रही हैं. महिला जेल बना हुआ है. महिलाएं अपने जुर्म की सजा काट रही हैं, लेकिन वर्तमान दौर सोशल मीडिया का है. जिसमें घटना अधिक हाईलाइट हो जाती है.

किरणमयी ने आगे कहा वर्तमान में देशभर में जो मामले सामने आए हैं. उन्हें देखकर तो ऐसा लगता है कि अरेंज मैरिज से वह खुश नहीं थी. इसलिए अभी खास तौर पर अभिभावकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह अपने बच्चों को शादी करने के लिए मजबूर न करें, दबाव न बनाएं. बच्चों से अच्छी तरह से पूछ लें, कि वह शादी के लिए राजी हैं या नहीं. यदि बच्चे शादी के लिए तैयार नहीं हैं. तो जबरदस्ती उनकी शादी नहीं करनी चाहिए.

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