सूरजपुर, 28 अप्रैल 2025: छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में रेहर गायत्री भूमिगत कोयला खदान के बाहर सैकड़ों ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर खदान का कामकाज ठप कर दिया है। गेतरा, मानी, पोड़ी, और जोबगा गांव के पुरुष और महिलाएं खदान के मुख्य द्वार पर धरने पर बैठे हैं, जिससे साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) को लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि 1997 में उनकी जमीनों का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन उन्हें उचित मुआवजा, पुनर्वास, और रोजगार जैसे वादों को अब तक पूरा नहीं किया गया।
ग्रामीणों की मांगें और आक्रोश
प्रदर्शनकारी ग्रामीणों का कहना है कि खदान के लिए उनकी जमीनें तो ले ली गईं, लेकिन बदले में न तो उचित मुआवजा मिला और न ही परिवारों को स्थायी रोजगार। गेतरा गांव के एक ग्रामीण ने कहा, “27 साल बीत गए, लेकिन हमारी मांगें आज भी अनसुनी हैं। खदान से हमें सिर्फ प्रदूषण और परेशानी मिली, जबकि हमारे बच्चों को नौकरी और गांव को विकास चाहिए।” ग्रामीणों ने मांग की है कि खदान से प्रभावित हर परिवार को मेगा प्रोजेक्ट्स (जैसे गेवरा, कुसमुंडा) की तर्ज पर 15 लाख रुपये मुआवजा और स्थायी रोजगार दिया जाए। साथ ही, वे छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति लागू करने की मांग कर रहे हैं, न कि कोल इंडिया की नीति, जिसे वे नुकसानदेह मानते हैं।
खदान बंद, SECL को नुकसान
धरने के कारण खदान का संचालन पूरी तरह ठप है, जिससे कोयला उत्पादन और ढुलाई रुक गई है। SECL के एक अधिकारी ने बताया कि इस रुकावट से प्रतिदिन लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। खदान के मुख्य द्वार पर सैकड़ों ग्रामीणों की मौजूदगी ने प्रबंधन के लिए स्थिति को और जटिल कर दिया है।
प्रशासन का हस्तक्षेप, बातचीत की कोशिश
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए स्थानीय तहसीलदार मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों से बातचीत की। तहसीलदार ने आश्वासन दिया कि वे SECL प्रबंधन और जिला प्रशासन के साथ मिलकर मांगों पर चर्चा करेंगे और जल्द समाधान निकालने की कोशिश करेंगे। हालांकि, ग्रामीणों ने साफ कर दिया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे धरना खत्म नहीं करेंगे।
पहले भी हो चुके हैं विरोध
सूरजपुर और आसपास के क्षेत्रों में कोयला खदानों के खिलाफ ग्रामीणों का विरोध नया नहीं है। हाल ही में, सरगुजा जिले की प्रस्तावित परसा कोयला खदान के लिए पेड़ कटाई के विरोध में ग्रामीणों और पुलिस के बीच झड़प हुई थी, जिसमें कई लोग घायल हुए थे। इसी तरह, कोरबा की अंबिका खदान के खिलाफ भी ग्रामीण लगातार आंदोलन कर रहे हैं, जहां वे 15 लाख रुपये मुआवजे और रोजगार की मांग उठा रहे हैं। इन घटनाओं से साफ है कि कोयला खदानों से प्रभावित ग्रामीणों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है।