रायपुर, 28 अप्रैल 2025: छत्तीसगढ़ में चारा परिवहन संघ ने अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। राजधानी रायपुर के धरना स्थल पर प्रदेश भर से सैकड़ों वाहन चालक, परिवहन ठेकेदार और संघ के सदस्य जुटे, जिन्होंने अपनी मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। हड़ताल के पहले दिन ही चारा परिवहन वाहनों के पहिए थम गए, जिससे पशुओं के लिए चारा आपूर्ति पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
टोल टैक्स छूट और चालान से परेशानी
चारा परिवहन संघ के नेता लेखराम साहू ने बताया कि पुलिस और आरटीओ की ओर से बार-बार चालान काटे जाने से वाहन चालक त्रस्त हैं। संघ की प्रमुख मांग पैराकुट्टी (पुआल काटने की मशीन) और चारा ढोने वाले वाहनों को टोल नाकों पर छूट देने की है। उनका तर्क है कि ये वाहन किसानों और पशुपालकों की आजीविका से सीधे जुड़े हैं, और टोल टैक्स का अतिरिक्त बोझ पशुपालन व्यवसाय को नुकसान पहुंचा रहा है। साहू ने कहा, “टोल टैक्स और चालान पशुधन संरक्षण को प्रभावित कर रहे हैं। सरकार को तत्काल इस पर ध्यान देना होगा।”
संघ की पांच मांगें
चारा परिवहन संघ ने अपनी मांगों में निम्नलिखित बिंदु शामिल किए हैं:
- टोल छूट: पैराकुट्टी और चारा परिवहन वाहनों को टोल टैक्स से पूर्ण छूट।
- लाइसेंस प्रक्रिया में सरलता: चारा परिवहन से जुड़े लाइसेंस और अनुमति प्रक्रिया को आसान करना।
- परिवहन दरों में वृद्धि: चारा परिवहन की दरों को बढ़ाकर ठेकेदारों और चालकों को राहत देना।
- अनुबंधों का नवीनीकरण: परिवहन अनुबंधों का समय पर नवीनीकरण सुनिश्चित करना।
- सरकारी योजनाओं में शामिल करना: चारा परिवहन को सरकारी योजनाओं का हिस्सा बनाकर प्रोत्साहन देना।
गौशालाओं और डेयरी पर संकट का खतरा
हड़ताल के कारण चारा आपूर्ति बाधित होने से गौशालाओं और डेयरी फार्मों पर संकट गहराने की आशंका है। संघ के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं, तो कई जिलों में पशुओं के लिए चारा संकट पैदा हो सकता है। इससे दुग्ध उत्पादन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हमने कई बार प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन केवल आश्वासन मिले। अब हड़ताल ही एकमात्र रास्ता है।”
प्रदर्शनकारियों का जोश, सरकार पर दबाव
रायपुर के धरना स्थल पर प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और अपनी मांगों को लेकर एकजुटता दिखाई। संघ ने साफ कर दिया है कि जब तक सरकार उनकी मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं करती, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। स्थानीय लोगों और पशुपालकों ने भी इस आंदोलन को समर्थन दिया है, क्योंकि चारा आपूर्ति का सीधा असर उनकी आजीविका पर पड़ता है।
प्रशासन और सरकार की प्रतिक्रिया
अब तक प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, सरकार जल्द ही चारा परिवहन संघ के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत शुरू कर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस हड़ताल का असर न केवल पशुपालन बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है, क्योंकि छत्तीसगढ़ में पशुधन और दुग्ध उत्पादन एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है।