कोंडागांव। छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में महिलाओं और नाबालिग लड़कियों के संरक्षण के लिए बने सखी वन स्टॉप सेंटर से चौंकाने वाला मामला सामने आया है। केंद्र के प्रशासक पर न केवल पीड़िताओं से अभद्र व्यवहार करने बल्कि केस निपटाने के एवज में एक लाख रुपए की रिश्वत मांगने के गंभीर आरोप लगे हैं।
28 अप्रैल 2025 को प्रकाशित समाचारों के बाद इस मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश किरण चतुर्वेदी ने स्वयं संज्ञान लिया है। न्यायपालिका की सक्रियता ने पूरे जिले में हड़कंप मचा दिया है।
सखी सेंटर बना ‘धन उगाही’ का अड्डा
आरोपों के अनुसार, जिन महिलाओं, युवतियों और नाबालिग लड़कियों को न्याय और सुरक्षा मिलनी चाहिए थी, उनसे ही पैसे वसूले जा रहे थे। रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र में आने वाली पीड़िताओं के साथ दुर्व्यवहार किया जाता था और उनके मामलों को जल्दी सुलझाने के नाम पर मोटी रकम मांगी जाती थी। यह सीधे-सीधे उन लोगों के साथ विश्वासघात है, जो जीवन के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे थे।
कोर्ट ने दिए सख्त जांच के आदेश
न्यायाधीश चतुर्वेदी ने इसे “अत्यंत संवेदनशील” मानते हुए तत्काल संज्ञान लिया और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को निर्देश दिए कि वे इस मामले में उचित कार्रवाई करें।
सचिव द्वारा कलेक्टर को ज्ञापन भेजा जाएगा, जिसमें 15 दिनों के भीतर पूरे मामले की विस्तृत जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है। विशेष रूप से नाबालिग पीड़िताओं के उत्पीड़न और प्रताड़ना के आरोपों की गंभीरता से जांच करने के निर्देश दिए गए हैं।
सिस्टम पर गंभीर सवाल
यह घटना सखी सेंटर जैसे संस्थानों की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। जिस व्यवस्था को महिलाओं और बालिकाओं के लिए संबल बनना था, वह अगर भ्रष्टाचार और उत्पीड़न का अड्डा बन जाए, तो पीड़िताओं के पास न्याय पाने का भरोसा कैसे बचेगा?
सरकार और प्रशासन के लिए अग्निपरीक्षा
अब देखना यह है कि छत्तीसगढ़ सरकार और जिला प्रशासन इस शर्मनाक प्रकरण में दोषियों के खिलाफ कितनी तेजी और पारदर्शिता से कार्रवाई करता है।
क्योंकि अगर अब भी दोषियों को बचाया गया, तो यह न केवल न्याय की हत्या होगी, बल्कि भविष्य में पीड़ित महिलाओं के लिए सहारा बनने वाले सिस्टम पर से जनता का भरोसा पूरी तरह उठ जाएगा।