कटघोरा में ग्रामीण यांत्रिकी अनुविभागीय कार्यालय वर्षों बाद भी स्वतंत्र भवन नहीं पा सका है।

राजेन्द्र देवांगन
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कटघोरा में ग्रामीण यांत्रिकी अनुविभागीय कार्यालय वर्षों बाद भी स्वतंत्र भवन नहीं पा सका है। कोरबा। सब डिविजन मुख्यालय कटघोरा में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा का अनुविभागीय कार्यालय वर्षों बाद भी स्वतंत्र भवन नहीं पा सका है।

उधारी की व्यवस्था पर इसका काम चल रहा है। संबंधित भवन जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है। कई बार यहां अप्रिय स्थिति निर्मित हो चुकी है।

लगता है कि अधिकारियों को किसी बड़े हादसे की प्रतीक्षा है। इन सबके बीच कर्मचारी भय के माहौल में काम करने को मजबूर हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न निर्माण कार्यों के क्रियान्वयन किये जाने के लिए सरकार ने ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग बनाया है

और इसमें अधिकारियों व कर्मियों के पद सृजित किये हैं। कुछ दशक पहले कटघोरा में इस विभाग का अनुविभागीय मुख्यालय स्वीकृत करने के साथ कामकाज प्रारंभ किया गया।

एसडीओ के साथ ही उपयंत्री और अन्य कर्मियों का सेटअप यहां दिया गया। इन सबके बावजूद सरकार ने ग्रामीण यांत्रिकी सेवा को खुद का भवन देने को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखाई।

वैकल्पिक रूप से एक भवन जनपद पंचायत के कोटे का था, जिसे काम चलाऊ स्तर पर आरईएस को दे दिया गया।

तब से अब तक इसी में कामकाज जारी है। सामान्य स्तर के इस भवन में कई तरह की समस्याएं पहले से थी जो समय के साथ बढ़ती चली गई।

बारिश के मौसम में पानी का रिसाव होने से लेकर ठंड में कई तरह की समस्याएं यहां पर पेश आ रही है। गर्मी में दुष्वारियों का कहना ही क्या। बताया गया कि यहां कुछ कक्षों में फ्लैक्स और तारपोलीन डालकर काम करना पड़ रहा है।

इसके अलावा जर्जर दरवाजे और खिड़कियों की वजह से भी कई चुनौतियां बनी हुई है। मौके पर कब क्या हो कोई ठिकाना नहीं। जिस अंदाज में यह उधारी का भवन फिलहाल टिका हुआ है

उससे यहां का अमला डर के वातावरण में अपनी ड्यूटी निभा रहा है। कार्मिकों को कार्यालयीन कालखंड में इस बात का डर सताता रहता है कि पता नहीं कब घटना हो जाए

और लेने के देने पड़ जाए। इन सबके बावजूद आरईएस के उच्चाधिकारियों ने इस बारे में सुध नहीं ली और ना ही व्यवस्थित भवन उपलब्ध कराने के बारे में विचार किया

पांच बार भेजा प्रपोजल, पर नतीजे नहीं
मौजूदा कार्यस्थल की दुर्गति को लेकर हमने गंभीरता दिखाई। पांच बार डिविजन से लेकर जिला प्रशासन और दूसरे स्तर पर नए भवन की व्यवस्था के लिए प्रपोजल भेजे गए।

क्षेत्रीय विधायक के स्तर से भी आगे जानकारी दी गई। इतना सब होने पर भी कोई नतीजे इस मामले में नहीं आ सके। इसलिए अब हम थम चुके हैं।

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