रायपुर।
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शुक्रवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए तीन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया है। इनमें तत्कालीन प्रधान सचिव डॉ. आलोक शुक्ला, तत्कालीन संयुक्त सचिव अनिल टुटेजा और पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा शामिल हैं। इन सभी पर अपने पद का दुरुपयोग कर घोटाले की जांच को प्रभावित करने का गंभीर आरोप है।
रायपुर स्थित अनिल टुटेजा के निवास पर CBI की छापेमारी
CBI की टीम ने शुक्रवार को अनिल टुटेजा के रायपुर स्थित निवास और एक अन्य ठिकाने पर छापेमारी की। तलाशी के दौरान कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए हैं, जिनकी जांच की जा रही है। यह कार्रवाई उस FIR के आधार पर हुई है, जो पहले राज्य की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में दर्ज थी और अब CBI ने अपने अधीन ले ली है।
जांच को कमजोर करने की कोशिश के आरोप
CBI का दावा है कि इन अधिकारियों ने नान घोटाले में की जा रही जांच को प्रभावित करने की कोशिश की। आरोप है कि इन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर न केवल जांच एजेंसियों पर दबाव बनाया, बल्कि दस्तावेजों में हेरफेर कराने की भी कोशिश की। आयकर विभाग द्वारा जब्त डिजिटल साक्ष्यों में इस बात के प्रमाण मिले हैं कि आरोपियों ने जानबूझकर जांच की दिशा को भटकाने की साजिश रची।
पूर्व महाधिवक्ता को अनुचित लाभ देने के प्रयास
CBI की शुरुआती जांच में यह भी सामने आया है कि तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को अनुचित लाभ पहुँचाने की कोशिश की गई। आरोप है कि इन अफसरों ने खुद के लिए अग्रिम जमानत के रास्ते बनाए और ईओडब्ल्यू अधिकारियों को दस्तावेजों में फेरबदल करने के लिए राजी करने का प्रयास किया।
जांच के घेरे में आ सकते हैं और नाम
CBI ने संकेत दिया है कि इस घोटाले में और भी नाम सामने आ सकते हैं। जांच एजेंसी उन अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है, जिन्होंने इस मामले की निष्पक्ष जांच में बाधा पहुंचाई।