डोकरा आर्ट की अंतरराष्ट्रीय पहचान: पीएम मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति को भेंट की कोंडागांव की अनूठी कलाकृति

राजेन्द्र देवांगन
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कोंडागांव की डोकरा आर्ट ने फिर रचा इतिहास
छत्तीसगढ़ के कोंडागांव की प्राचीन डोकरा कला ने एक बार फिर वैश्विक मंच पर अपनी छाप छोड़ी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को संगीतकारों की डोकरा कलाकृति उपहार में दी, जिससे स्थानीय शिल्पकारों में हर्ष और गर्व की लहर दौड़ गई।

हड़प्पा काल से आज तक जीवित है यह कला
डोकरा कला की विशेषता इसकी पूर्णतः हस्तनिर्मित प्रक्रिया है, जो मोहनजोदड़ो और हड़प्पा काल से चली आ रही है। 12 जटिल चरणों से गुजरकर तैयार की जाने वाली यह कलाकृति आधुनिक युग में भी हाथों से ही बनाई जाती है। ‘डोकरा’ शब्द का अर्थ ‘बूढ़े-बुजुर्ग’ होता है और इसे भारत की सबसे प्राचीन कलाओं में से एक माना जाता है।

कोंडागांव के शिल्पकारों की अनमोल धरोहर
कोंडागांव के प्रसिद्ध शिल्पकार राजेंद्र बघेल, जिन्हें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा सम्मानित किया जा चुका है, छह से अधिक देशों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं और एक दर्जन से अधिक राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कार जीत चुके हैं।

डोकरा आर्ट: भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक
स्थानीय कलाकारों का मानना है कि डोकरा कला अब देश की सीमाओं को पार कर विश्व स्तर पर अपनी पहचान बना चुकी है। प्राचीन समय में यह कला केवल सोने-चांदी तक सीमित नहीं थी, बल्कि विविध प्रकार की कलाकृतियां भी बनाई जाती थीं। आज यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर का एक अभिन्न हिस्सा बन गई है।

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