प्रयागराज महाकुंभ 2025: आस्था और सेवा का संगम, छत्तीसगढ़ पवेलियन: सेवा और सुविधा का केंद्र, श्रद्धालुओं ने सराही छत्तीसगढ़ सरकार की पहल

राजेन्द्र देवांगन
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रायपुर। प्रयागराज महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की आस्था का विराट संगम देखने को मिल रहा है। 13 जनवरी से प्रारंभ हुए इस महापर्व में अब तक करोड़ों श्रद्धालु संगम में पुण्य स्नान कर चुके हैं। यह दिव्य आयोजन 26 फरवरी 2025 तक जारी रहेगा। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने विशेष सेवा केंद्र स्थापित किए हैं। इससे प्रदेशवासियों को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ रहा है।

छत्तीसगढ़ पवेलियन: सेवा और सुविधा का केंद्र
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल पर प्रयागराज महाकुंभ में छत्तीसगढ़ पवेलियन स्थापित किया गया है। यहां श्रद्धालुओं के लिए निशुल्क ठहरने और भोजन की उत्तम व्यवस्था है। अब तक 25 हजार से अधिक श्रद्धालु यहां ठहरकर सेवा का लाभ उठा चुके हैं। यह पवेलियन श्रद्धालुओं के लिए सेवा, सुविधा और आस्था का केंद्र बन गया है। मुख्यमंत्री की दूरदृष्टि और संवेदनशीलता से श्रद्धालु बिना किसी कठिनाई के महाकुंभ का आनंद उठा रहे हैं।

श्रद्धालुओं ने सराही छत्तीसगढ़ सरकार की पहल
बिलासपुर से आए आशीष सिंह ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ पवेलियन में मिली व्यवस्थाएं सराहनीय हैं। स्वच्छता, सुरक्षा, समय पर नाश्ता और भोजन, मोबाइल चार्जिंग सुविधा, गर्म कंबल और आरामदायक बिस्तर जैसी सुविधाओं ने उनकी यात्रा को सुखद बनाया। उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का आभार व्यक्त किया।

संस्कृति और लोककला का अनूठा संगम
छत्तीसगढ़ पवेलियन श्रद्धालुओं के लिए ठहरने का स्थान ही नहीं, बल्कि राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का परिचायक भी है। यहां लोकनृत्य, लोकगीत और संगीत की प्रस्तुतियां श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर रही हैं। साथ ही, सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की प्रदर्शनी भी लगाई गई है, जिससे श्रद्धालु योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर लाभ उठा रहे हैं।

महाकुंभ: आस्था और सेवा का महापर्व
महाकुंभ हिंदू धर्म में आस्था और सेवा का सबसे बड़ा महोत्सव है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा निशुल्क सेवाएं प्रदान करना श्रद्धालुओं के लिए बड़ी राहत है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के दूरदर्शी प्रयास से हजारों श्रद्धालु महाकुंभ का लाभ उठा रहे हैं। यह पहल छत्तीसगढ़ सरकार की जनहितैषी नीतियों और संस्कृति के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाती है।

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