राजिम कुंभ कल्प 2025 का भव्य आगाज: आस्था की डुबकी के साथ महापर्व शुरू

राजेन्द्र देवांगन
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हजारों श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में लगाई पवित्र डुबकी, कुलेश्वरनाथ मंदिर में उमड़ी भीड़

राजिम: छत्तीसगढ़ के राजिम में आज 12 फरवरी से राजिम कुंभ कल्प 2025 का शुभारंभ हो गया है। इस अवसर पर सुबह से ही हजारों श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाकर अपनी आस्था प्रकट की। यह महापर्व माघ पूर्णिमा से शुरू होकर 26 फरवरी को महाशिवरात्रि तक चलेगा। श्रद्धालुओं ने नदी तट पर बालू से शिवलिंग बनाकर पूजा-अर्चना की और त्रिवेणी संगम में दीपदान कर मनोकामनाओं की प्रार्थना की।

कुलेश्वरनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं का सैलाब

कुंभ कल्प के पहले दिन ही कुलेश्वरनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। भक्तों ने भगवान शिव के दर्शन कर अपने जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की कामना की।

आज शाम मुख्य मंच से होगा विधिवत उद्घाटन

राजिम कुंभ कल्प 2025 का विधिवत उद्घाटन आज शाम मुख्य मंच से किया जाएगा। इस अवसर पर कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें भक्ति संगीत, संत प्रवचन और लोक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां शामिल होंगी।

महत्वपूर्ण तिथियां:

  • माघ पूर्णिमा: 12 फरवरी
  • जानकी जयंती: 21 फरवरी
  • महाशिवरात्रि: 26 फरवरी

प्रयाग के रूप में प्रसिद्ध है राजिम कुंभ

राजिम कुंभ कल्प को छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है। इस वर्ष यह आयोजन 52 एकड़ क्षेत्र में बने नए मेला स्थल पर हो रहा है। शाही स्नान, गंगा आरती और संत समागम जैसे प्रमुख आयोजनों की व्यापक तैयारियां की गई हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं।

राजिम कुंभ में प्रमुख स्नान और आयोजन:

  • माघी पुन्नी स्नान: 12 फरवरी
  • जानकी जयंती पर संत समागम: 21 फरवरी
  • शाही स्नान: 26 फरवरी

छत्तीसगढ़ की समृद्ध परंपराओं का प्रतीक

राजिम कुंभ कल्प छत्तीसगढ़ की धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराओं का प्रतीक है। यह आयोजन न केवल श्रद्धालुओं के लिए पुण्य प्राप्ति का अवसर है, बल्कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और विरासत को जानने का एक माध्यम भी है। लाखों श्रद्धालु इस महापर्व में शामिल होकर आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं।

पर्यटन विभाग नोडल एजेंसी

राजिम कुंभ कल्प 2025 के सफल आयोजन की जिम्मेदारी पर्यटन विभाग को सौंपी गई है। 15 दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में साधु-संतों का बड़ा समागम, धार्मिक अनुष्ठान, सांस्कृतिक गतिविधियां, मेला, मड़ई, मीना बाजार और विभागीय प्रदर्शनी प्रमुख आकर्षण होंगे।

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