50 लाख में कच्ची सड़क का निर्माण, स्थानीय लोगों में आक्रोश
चिरमिरी नगर निगम के अंतर्गत आने वाले सिद्ध बाबा मंदिर तक श्रद्धालुओं को पहुंचने के लिए लंबे समय से उबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरना पड़ता था। नगर निगम ने इस समस्या का समाधान करने के लिए 50 लाख रुपये की स्वीकृति देकर मार्ग निर्माण का बीड़ा उठाया। लेकिन जब यह सड़क बनकर तैयार हुई तो भक्तों की उम्मीदों पर पानी फिर गया।
पहाड़ काटकर मिट्टी से बना दी गई सड़क
सड़क निर्माण के नाम पर जेसीबी मशीनों से केवल पहाड़ी की कटाई कर मिट्टी डालकर कच्चा मार्ग बना दिया गया। इस कार्य में 50 लाख रुपये खर्च किए गए, लेकिन स्थायी समाधान की बजाय मात्र अस्थायी सुविधा दी गई। स्थानीय नागरिकों और विपक्षी नेताओं ने इस परियोजना को लेकर घोटाले के आरोप लगाए हैं।
स्थानीय लोगों ने उठाए सवाल
स्थानीय निवासी ओम प्रकाश अग्रवाल ने कहा, “सिद्ध बाबा मंदिर मार्ग के लिए 50 लाख रुपये स्वीकृत हुए थे, लेकिन निगम की जेसीबी से केवल डीजल भरकर कार्य किया गया, ठेकेदार के माध्यम से काम न कराकर सीधा भ्रष्टाचार किया गया है। इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।”
विपक्ष ने महापौर को ठहराया दोषी
नेता प्रतिपक्ष संतोष सिंह ने इस मामले में नगर निगम की महापौर कंचन जायसवाल को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, “50 लाख रुपये की राशि से सीढ़ियां बनाई जानी थीं, लेकिन केवल कटाई कार्य किया गया। यह पूरी तरह से जनता के पैसे की बर्बादी है।”
संतोष सिंह ने आगे कहा, “कांग्रेस शासनकाल में चिरमिरी में कई अजीबोगरीब कार्य हुए हैं। महापौर बंगले के निर्माण में 8 लाख खर्च हुए, जबकि मरम्मत पर 28 लाख खर्च कर दिए गए। पाइपलाइन विस्तार के लिए 4 करोड़ रुपये खर्च हुए, लेकिन जनता को आज तक पानी नहीं मिला।”
निगम कमिश्नर ने दी सफाई
निगम कमिश्नर राम प्रसाद अचला ने सफाई देते हुए कहा, “पहले भी वहां कच्ची सड़क थी, जो बारिश में खराब हो गई थी। वर्तमान में भी वहां कच्ची सड़क है और इसे फिर से बनाया गया है।”
बीजापुर में पत्रकार की हत्या से उठे सवाल
इस मामले ने बीजापुर में हाल ही में हुई एक पत्रकार की हत्या की याद दिला दी है, जिसने ठेकेदार द्वारा सड़क निर्माण में गड़बड़ी उजागर की थी। ठेकेदार ने बिना काम किए करोड़ों रुपये निकाल लिए थे, जिसमें विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई थी।
छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है। चिरमिरी निगम में सामने आए इस सड़क घोटाले ने एक बार फिर सरकारी परियोजनाओं में पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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