कोरबा में गौरा पूजा महोत्सव और बैगा पुजेरी सम्मेलन 10 से 12 जनवरी तक

राजेन्द्र देवांगन
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कोरबा: जनजातीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं को संरक्षित एवं सहेजने के उद्देश्य से गौरा पूजा महोत्सव एवं बैगा पुजेरी सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। यह तीन दिवसीय कार्यक्रम 10 से 12 जनवरी तक महर्षि वाल्मीकि आश्रम, आईटीआई चौक, बालको रोड, कोरबा में आयोजित होगा।

इस आयोजन के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ सरकार के आदिम जाति कल्याण, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग एवं कृषि मंत्री रामविचार नेताम होंगे।

जनजाति सलाहकार समिति ने दी जानकारी

इस महोत्सव से संबंधित जानकारी छत्तीसगढ़ शासन की जनजाति सलाहकार समिति के सदस्य एवं अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष रघुराज सिंह उइके ने साझा की। उन्होंने बताया कि 26 दिसंबर 1952 को जशपुर में रमाकांत केशव बालासाहेब देशपांडे द्वारा अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना की गई थी। इस संगठन का उद्देश्य जनजातीय समाज की धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक समृद्धि के साथ-साथ उनके सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करना है।

महर्षि वाल्मीकि आश्रम की भूमिका

1988 में कोरबा के रामपुर क्षेत्र में स्थित आईटीआई परिसर के पीछे महर्षि वाल्मीकि आश्रम की स्थापना हुई थी। शुरुआत में यह एक छोटे बालक छात्रावास के रूप में चार-पांच बच्चों के साथ प्रारंभ हुआ था। वर्तमान में इसमें 46 बालक अध्ययनरत हैं।

वनवासी कल्याण आश्रम पूरे देश में 14 प्रमुख आयामों के माध्यम से कार्यरत है, जिनमें शामिल हैं—
शिक्षा एवं छात्रावास
चिकित्सालय एवं स्वास्थ्य सेवा
ग्राम विकास एवं हित रक्षा
श्रद्धा जागरण एवं लोक कला प्रचार-प्रसार
जनजाति संपर्क एवं सुरक्षा मंच
खेलकूद, महिला एवं युवा विकास कार्यक्रम

सालभर में 13 उत्सवों का आयोजन

रघुराज सिंह उइके ने बताया कि श्रद्धा जागरण एवं जनजातीय लोककला वनवासी कल्याण आश्रम का एक महत्वपूर्ण प्रकल्प है। इसी पहल के तहत गौरा पूजा महोत्सव एवं बैगा पुजेरी सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।

जनजातीय समाज सालभर में 13 प्रमुख पारंपरिक उत्सव मनाता है। कोरबा जिले में जनजातीय समाज के लोग गौरा पूजा को परंपरागत रूप से बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इस वर्ष यह पर्व महर्षि वाल्मीकि आश्रम में आयोजित किया जा रहा है।

बैगा पुजेरी सम्मेलन का उद्देश्य

बैगा एवं पुजेरी समाज की गांव की पारंपरिक पूजा-पद्धतियों में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जन्म से लेकर मृत्यु तक के सभी संस्कारों में इनकी उपस्थिति आवश्यक मानी जाती है। इस सम्मेलन का उद्देश्य—
बैगा एवं पुजारियों का सम्मान करना
धार्मिक एवं सामाजिक दायित्वों को मजबूत बनाना
आधुनिक समय के अनुरूप परंपराओं का संरक्षण एवं मार्गदर्शन प्रदान करना

निष्कर्ष

यह आयोजन जनजातीय समाज की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और भविष्य की पीढ़ी को इससे जोड़ने का एक महत्वपूर्ण अवसर होगा। सम्मेलन के माध्यम से जनजातीय समाज को उनकी धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक परंपराओं के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया जाएगा।

 

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