रायपुर: छत्तीसगढ़ में बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों ने अपनी नौकरी बचाने और समायोजन की मांग को लेकर शुक्रवार को रायपुर के माना तूता धरनास्थल पर सामूहिक मुंडन कराया। यह आंदोलन नौवें दिन भी जारी रहा, जिसमें पुरुषों के साथ-साथ महिला शिक्षकों ने भी अपने बाल कटवाकर विरोध प्रकट किया। प्रदर्शनकारी शिक्षकों का कहना है कि वे न्याय मांग रहे हैं, दया नहीं।
आंदोलन की पृष्ठभूमि
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हाल ही में बीएड सहायक शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द कर दिया था। इस फैसले से प्रभावित 2897 शिक्षक अपनी नौकरी बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से समायोजन (एडजस्टमेंट) की मांग की है।
सामूहिक मुंडन और महिला शिक्षकों की भागीदारी
शुक्रवार को सामूहिक मुंडन के दौरान महिला शिक्षकों ने भी अपने बाल कटवाए। उन्होंने कहा, “हमने सरकार की शर्तों का पालन कर बीएड की पढ़ाई पूरी की, पात्रता परीक्षा पास की और शिक्षा देने का काम शुरू किया। अब हमारी योग्यता को अमान्य ठहराया जा रहा है। यह हमारी मेहनत और भविष्य पर कुठाराघात है।”
अनुनय यात्रा से धरने तक का सफर
इस आंदोलन की शुरुआत 14 दिसंबर को अंबिकापुर से रायपुर तक पैदल अनुनय यात्रा से हुई थी। रायपुर पहुंचने के बाद 19 दिसंबर से यह यात्रा धरने में तब्दील हो गई। इस दौरान शिक्षकों ने सरकार और जनप्रतिनिधियों को पत्र लिखकर अपनी समस्या से अवगत कराया, लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला।
भविष्य सुरक्षित करने की मांग
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार ने शिक्षा विभाग में 70,000 पद रिक्त छोड़े हैं, जबकि 33,000 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया भी रोक दी गई है। इन रिक्त पदों पर समायोजन की गुहार लगाते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित करे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने उठाई आवाज
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने शिक्षकों के समर्थन में बयान दिया। उन्होंने कहा, “भले ही यह समस्या अदालती फैसले के कारण उत्पन्न हुई है, लेकिन सरकार चाहे तो तुरंत इसका समाधान निकाल सकती है। इन शिक्षकों को प्रयोगशाला सहायक, उच्च श्रेणी शिक्षक या अन्य पदों पर समायोजित किया जा सकता है।”
सरकार की चुप्पी पर सवाल
शिक्षकों का कहना है कि सरकार की चुप्पी उनकी समस्या को और गंभीर बना रही है। वे अपनी मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रखने की बात कर रहे हैं।
निष्कर्ष
यह प्रदर्शन शिक्षकों की नौकरी और उनके भविष्य को लेकर गहराते संकट का प्रतीक है। सामूहिक मुंडन जैसे कदम उनकी हताशा और दृढ़ संकल्प को दर्शाते हैं। अब यह देखना होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है।