पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। लंबी बीमारी से जूझ रहे सिंह को गुरुवार शाम तबीयत बिगड़ने पर दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां रात 9:51 बजे डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके निधन के बाद पूरे देश में सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है। उनका पार्थिव शरीर दिल्ली स्थित उनके आवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है।
एम्स ने दी आधिकारिक जानकारी
दिल्ली एम्स ने एक बयान जारी कर उनके निधन की पुष्टि की। बयान के अनुसार, मनमोहन सिंह को गुरुवार शाम 8:06 बजे एम्स के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान भी उनकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ और रात 9:51 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
मनमोहन सिंह के अस्पताल में भर्ती होने की सूचना मिलने के बाद कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी समेत कई अन्य वरिष्ठ नेता एम्स पहुंचे थे।
राजनीतिक और आर्थिक सुधारों के लिए याद किए जाएंगे
मनमोहन सिंह का नाम भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। उन्होंने 1991 में पीवी नरसिम्हा राव सरकार के वित्त मंत्री के रूप में देश में आर्थिक सुधारों की नींव रखी। भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजार से जोड़ने और उदारीकरण की प्रक्रिया शुरू करने का श्रेय उन्हें ही दिया जाता है।
सिंह ने 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री के रूप में दो कार्यकाल पूरे किए। अपने प्रधानमंत्री काल में उन्होंने भारत को आर्थिक और राजनीतिक रूप से नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

मनमोहन सिंह का जीवन परिचय
- जन्म: 26 सितंबर, 1932 (अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में)
- शिक्षा: पंजाब विश्वविद्यालय, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय
- व्यवसायिक जीवन:
- पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में शिक्षक
- योजना आयोग के उपाध्यक्ष
- रिजर्व बैंक के गवर्नर
- वित्त मंत्रालय में सचिव
- राजनीतिक जीवन:
- 1991 में असम से राज्यसभा के सदस्य चुने गए
- नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री (1991-96)
- प्रधानमंत्री (2004-2014)
- लगातार पांच बार राज्यसभा के सदस्य
अंतिम विदाई
मनमोहन सिंह के निधन से देश ने एक महान अर्थशास्त्री और दूरदर्शी नेता खो दिया है। उनकी अंतिम यात्रा के लिए दिल्ली स्थित आवास पर पार्थिव शरीर रखा गया है। देशभर के नेताओं और जनता द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है।
निष्कर्ष
मनमोहन सिंह का योगदान न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बल्कि देश के राजनीतिक और सामाजिक विकास के लिए भी अमूल्य है। उनकी सादगी और विद्वत्ता को हमेशा याद किया जाएगा।