बिलासपुर। जेल से जमानत व पैरोल पर छूटे कैदियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है । सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को 15 दिनों के भीतर कैदियों के आवेदन पर निर्णय लेने का आदेश भी दिया है। मालूम हो कि प्रदेश के 5500 कैदी कोरोना संक्रमण काल में पैरोल व जमानत पर रिहा किये गए है ।
सुप्रीम कोर्ट में बिलासपुर केंद्रीय जेल के सजायाफ्ता कैदी जय जायसवाल की तरफ से दायर स्पेशल लीव पिटिशन क्रिमिनल (एसएलपी) दायर की गई है। पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के वेकेशन कोर्ट में जस्टिस इंदिरा बनर्जी व जस्टिस अनिरुद्घ बोस की युगलपीठ ने पैरोल अवधि छह जनवरी तक बढ़ा दी थी। साथ ही इस मामले में राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
इस आदेश के बाद कैदियों को छह दिन के लिए राहत मिल गई थी। मामले में पांच जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि कोरोना काल में केंद्र सरकार ने देशभर में पिछले साल 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के बाद से लाकडाउन घोषित कर दिया। इस बीच जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों में कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के हाई कोर्ट को आदेश जारी कर सजायाफ्ता कैदियों को पैरोल व जमानत पर छोड़ने कहा था।
छत्तीसगढ़ की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं और अव्यवस्था की स्थिति रहती है। ऐसे में पैरोल पर बाहर आए कैदियों के वापस जाने से कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा है। जेल के भीतर कैदियों के लिए अलग-अलग व्यवस्था नहीं है। याचिका में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट द्वारा 30 नवंबर को हुई सुनवाई में कैदी के आवेदन को खारिज करने का भी हवाला दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रकरण की सुनवाई के बाद कैदियों की पैरोल अवधि 15 दिनों के लिए बढ़ा दी है। साथ ही हाई कोर्ट को आदेशित किया है कि 15 दिनों के भीतर याचिकाकर्ताओं के अभ्यावेदन पर उचित निर्णय लें।