छत्तीसगढ़: नक्सलवाद के खात्मे के लिए केंद्र और राज्य की बड़ी रणनीति, 2026 तक खत्म होगा नक्सल प्रभाव
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर एक नई और व्यापक रणनीति तैयार की है। इस रणनीति को जनवरी 2024 के पहले सप्ताह में दिल्ली में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में अंतिम रूप दिया जाएगा। लक्ष्य है कि 2026 तक नक्सलवाद का पूर्ण खात्मा किया जाए।
अबूझमाड़ को घेरने की तैयारी
नए प्लान के तहत 2025 के अंत तक सुरक्षाबलों की फोर्स अबूझमाड़ क्षेत्र को पूरी तरह घेर लेगी। यह इलाका नक्सलियों का प्रमुख गढ़ माना जाता है, जहां वे लगातार अपनी गतिविधियां संचालित करते हैं। नक्सलियों की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए पैरामिलिट्री फोर्स के डीजी और एडीजी स्तर के अधिकारी अब जंगलों में कैंप करेंगे और दो-तीन रातें जवानों के साथ बिताएंगे। उनकी निगरानी में ऑपरेशन की योजना तैयार की जाएगी।
बस्तर में बढ़ेगी फोर्स की ताकत
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान बस्तर क्षेत्र में तेजी से कैंप खोलने के निर्देश दिए थे। अब तक अबूझमाड़ के कच्चापाल, बीजापुर के वाटबांगू और सुकमा के गोमागुड़ा जैसे नक्सलियों के कोर एरिया में तीन नए कैंप स्थापित किए जा चुके हैं। अगले 12 महीनों में 35 से अधिक नए कैंप खोलने की योजना है। इसके लिए केंद्र सरकार ने 2 नई बटालियन की मांग की है। यह कदम नक्सलियों की गतिविधियों को सीमित करने के लिए उठाया जा रहा है।
सुकमा और बीजापुर के बीच नक्सलियों की घेराबंदी
बीजापुर और सुकमा बॉर्डर पर लगातार ऑपरेशन चल रहे हैं। इसके कारण नक्सली अब अबूझमाड़ में सिमटने को मजबूर हो गए हैं। ऑपरेशन की इसी कड़ी में सुरक्षाबलों ने बीते 11 महीनों में 250 से अधिक नक्सलियों को ढेर किया है।
11 महीने में नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई:
2 अप्रैल: बीजापुर में 13 नक्सली मारे गए।
15 अप्रैल: कांकेर में 29 नक्सली ढेर।
10 मई: बीजापुर में 12 नक्सली मारे गए।
23 मई: नारायणपुर जंगल में 8 नक्सली ढेर।
15 जून: ओरछा इलाके में 8 नक्सली मारे गए।
17 जुलाई: महाराष्ट्र बॉर्डर पर 12 नक्सली मारे गए।
3 सितंबर: बीजापुर-दंतेवाड़ा में 9 नक्सली मारे गए।
4 अक्टूबर: अबूझमाड़ में 31 नक्सली ढेर।
ग्रामीण विकास पर जोर
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि नक्सलियों को खत्म करने के लिए केवल सैन्य कार्रवाई पर्याप्त नहीं है। बस्तर क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता दी जा रही है। ग्रामीणों को बुनियादी सुविधाएं देने के लिए जन सुविधा केंद्र खोले जा रहे हैं। इन केंद्रों के माध्यम से राशन, आधार कार्ड, राशन कार्ड और बैंक खाता जैसी सेवाएं ग्रामीणों को गांव के पास ही मुहैया कराई जाएंगी।
मुख्य निर्देश:
जंगलों में इंटरनेट का जाल बिछाया जाएगा।
गांवों में स्कूल, अस्पताल और सड़कों का निर्माण होगा।
युवाओं और बच्चों को शिक्षा और रोजगार से जोड़ा जाएगा।
नक्सलियों की फंडिंग के स्रोतों को खत्म किया जाएगा।
डीएसपी पर विशेष जिम्मेदारी
नक्सलियों की गतिविधियों पर नज़र रखने और उनकी मदद करने वाले नेटवर्क को खत्म करने के लिए डीएसपी स्तर के अधिकारियों को जिम्मेदारी दी जाएगी। ये अधिकारी नक्सलियों की एरिया कमेटी से लेकर बटालियन तक के मूवमेंट पर नजर रखेंगे और बड़े ऑपरेशन के लिए जानकारी जुटाएंगे।
एक्सपर्ट व्यू: माइक्रो मॉनिटरिंग से मिलेगी सफलता
आरके विज (रिटायर्ड डीजी) ने कहा, “नक्सलियों के खिलाफ बड़े ऑपरेशन के साथ माइक्रो लेवल पर मॉनिटरिंग बेहद जरूरी है। नक्सलियों की सबसे छोटी इकाई एरिया कमेटी होती है, जो सबसे ज्यादा सक्रिय रहती है। इनकी गतिविधियों और नेटवर्क पर नज़र रखकर ही बड़े ऑपरेशन में सफलता मिलती है।”
बस्तर आईजी का बयान
बस्तर आईजी सुंदरराज पी. ने बताया कि लगातार ऑपरेशन और नए कैंप स्थापित करने से नक्सली कमजोर पड़ रहे हैं। फोर्स की रणनीति के तहत आने वाले समय में कई और कैंप स्थापित किए जाएंगे। इसका उद्देश्य नक्सलियों की गतिविधियों को पूरी तरह रोकना और बस्तर को विकास की मुख्यधारा से जोड़ना है।
2026 तक नक्सलमुक्त छत्तीसगढ़ का लक्ष्य
केंद्र और राज्य सरकार का उद्देश्य है कि मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को पूरी तरह नक्सलमुक्त बनाया जाए। इसके लिए लगातार सैन्य ऑपरेशन और विकास कार्यों को प्राथमिकता दी जा रही है।