नक्सलियों की क्रूरता: जेसीसीजे कार्यकर्ता मुकेश हेमला की गला रेतकर हत्या, इलाके में खौफ का माहौल

राजेन्द्र देवांगन
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बीजापुर में नक्सलियों की निर्ममता: जेसीसीजे कार्यकर्ता मुकेश हेमला की गला रेतकर हत्या, इलाके में दहशत

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सलियों ने अपनी क्रूरता का परिचय देते हुए जेसीसीजे (जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे) के कार्यकर्ता मुकेश हेमला की हत्या कर दी। यह घटना गंगालुर थाना क्षेत्र के रेड्डी गांव की है, जहां मुकेश को साप्ताहिक बाजार से पिस्तौल की नोक पर अगवा किया गया था। हत्या के बाद नक्सलियों ने शव के पास पर्चा छोड़कर दहशत फैलाने की कोशिश की है।

घटना का विवरण

गंगालुर थाना क्षेत्र के रेड्डी गांव में नक्सली साप्ताहिक बाजार में पहुंचे और मुकेश हेमला को पिस्तौल दिखाकर जबरन अपने साथ ले गए। प्रत्यक्षदर्शियों ने बीच-बचाव करने की कोशिश की, लेकिन नक्सलियों ने उन्हें हथियार दिखाकर धमका दिया। मुकेश को जंगल में ले जाकर धारदार हथियार से गला रेतकर हत्या कर दी गई।

शव के पास छोड़ा पर्चा

हत्या के बाद नक्सलियों ने शव को सड़क पर फेंक दिया और उसके पास एक पर्चा छोड़ा, जिसमें घटना का कारण और उनके उद्देश्यों का उल्लेख किया गया है। हालांकि, पर्चे की सामग्री के बारे में अभी स्पष्ट जानकारी नहीं मिली है।

तीन दिनों में तीन हत्याएं

गंगालुर क्षेत्र में नक्सलियों ने तीन दिनों में तीन लोगों की हत्या कर इलाके में दहशत का माहौल बना दिया है। इससे ग्रामीणों के बीच भय और असुरक्षा की भावना बढ़ गई है।

पुलिस की प्रतिक्रिया

घटना के बाद पुलिस ने इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी है और नक्सलियों के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है। सुरक्षाबल लगातार नक्सलियों की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं और उनके खिलाफ सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

मुकेश हेमला की हत्या पर राजनीतिक हलकों में भी नाराजगी है। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के नेताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और सरकार से नक्सलियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की है।

इलाके में तनाव का माहौल

इस घटना के बाद इलाके में तनाव और डर का माहौल है। ग्रामीण नक्सलियों की बढ़ती हिंसा से दहशत में हैं। सुरक्षाबलों की चुनौती है कि नक्सलियों की इन गतिविधियों पर रोक लगाकर क्षेत्र में शांति बहाल की जाए।

नक्सलियों का उद्देश्य

विशेषज्ञों का मानना है कि नक्सली इस तरह की घटनाओं के जरिए अपने वर्चस्व को बनाए रखना चाहते हैं। उनकी रणनीति दहशत फैलाकर ग्रामीणों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को अपने खिलाफ खड़े होने से रोकने की है।

सुरक्षाबलों और प्रशासन को इस घटना से निपटने के लिए सतर्कता और संयम के साथ ठोस कदम उठाने होंगे ताकि क्षेत्र में शांति और सुरक्षा की भावना दोबारा स्थापित हो सके।

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