छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में पोटाकेबिन में रहकर 10वीं की पढ़ाई कर रही छात्रा विमला कवासी की खून की कमी (एनीमिया) के कारण मौत हो गई। विमला की तबीयत 23 नवंबर को बिगड़ी थी, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के बाद 26 नवंबर को उसे डिस्चार्ज कर छात्रावास वापस भेज दिया गया था। परंतु, 12 दिसंबर को उसकी तबीयत फिर से बिगड़ी और उसे जिला अस्पताल लाया गया, जहां से उसे गंभीर हालत में जगदलपुर के डिमरापाल मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। मेडिकल कॉलेज जाते समय छात्रा ने दम तोड़ दिया।
जिला शिक्षा अधिकारी की जानकारी
जिला शिक्षा अधिकारी लखन लाल धनेलिया ने बताया कि विमला के परिजनों ने उसे घर ले जाने के लिए आवेदन किया था, जिसे मंजूरी दे दी गई थी। इसके बाद परिजनों ने उसकी हालत के बारे में जानकारी दी थी, और तबीयत ठीक बताई थी। लेकिन अचानक स्थिति बिगड़ने के बाद उसकी मौत हो गई।
बीजापुर में एक और दर्दनाक घटना
बीजापुर जिले में तीन दिन पहले एक और दर्दनाक घटना हुई थी, जब पनीर की सब्जी और पूड़ी खाने से तीसरी कक्षा की छात्रा शालिनी तेलम की मौत हो गई। यह छात्रा बीजापुर के माता रुक्मणि आश्रम में रहकर पढ़ाई कर रही थी। इसी आश्रम की 35 अन्य छात्राएं भी फूड प्वॉइजनिंग का शिकार हो गईं, जिनमें से 12 की हालत गंभीर थी और उन्हें जगदलपुर के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था।
अन्य घटनाएं
इसी बीच रायगढ़ जिले से भी एक दुखद घटना सामने आई है, जहां एक 12वीं की छात्रा की मौत हो गई। यह छात्रा रायगढ़ के वैदिक स्कूल में पढ़ाई कर रही थी और सक्ती से आई थी। सोमवार को वह हॉस्टल के बाथरूम में बेहोश पाई गई थी, और अस्पताल लाए जाने के दौरान रास्ते में उसकी मौत हो गई। प्रारंभिक तौर पर हार्ट अटैक से उसकी मौत होने की आशंका जताई जा रही है।
स्थानीय प्रशासन की सक्रियता
इन घटनाओं को लेकर प्रशासन की ओर से जांच समितियां गठित की गई हैं। बीजापुर में पनीर और पूड़ी खाने से मौत की घटना की जांच के लिए कांग्रेस ने 7 सदस्यीय और प्रशासन ने 5 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है।
ये घटनाएं इलाके में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और बेहतर निगरानी की आवश्यकता को उजागर करती हैं, जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

10वीं की छात्रा की खून कमी की वजह से मौत हो गई है।