छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और राज्यपाल निवास में शनिवार की सुबह बंदूकें निकाली गईं। इसमें इजराइल की टैवोर ऑटोमेटिक रायफल थी। रशिया में इजाद हुई मशहूर AK-47 भी। CM विष्णुदेव साय और प्रदेश के राज्यपाल रामेन डेका ने हथियारों की पूजा की।
दोनों ही जगहों पर स.मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने हथियारों की पूजा के बाद मुख्यमंत्री सचिवालय और मुख्यमंत्री सुरक्षा टीम के अधिकारी-कर्मचारियों के साथ फोटो भी खिंचवाई।
सभी को उन्होंने दशहरे की बधाई दी। राजभवन में राज्यपाल रामेन डेका ने राजभवन में आयोजित शस्त्र पूजा और हवन में हिस्सा लिया। राज्यपाल डेका ने कहा- असत्य पर सत्य की जीत का यह त्योहार हमें अहंकार और अधर्म का नाश करने की सीख देता है। हमें दशहरे के इस पावन पर्व पर सत्य की राह में चलने का संकल्प लेना चाहिए।राज्यपाल ने की बंदूको की पूजा।इन खास गन्स की पूजा हुई CM हाउस में इजराइल से ली गई टैवोर गन की पूजा हुई।
इजरायल में बनी इस असॉल्ट राइफल की रेंज 550 मीटर है। एक मिनट में 750 से 950 गोलियां दागने की क्षमता है। 30 राउंड की बॉक्स मैगजीन इसमें लगती है। ये गन इतनी सटीक है कि इंडियन आर्मी के स्पेशल फोर्स के कमांडोज भी अपने सीक्रेट ऑपरेशन में इसे ही इस्तेमाल करते हैं।
टैवोर गन जिसकी पूजा की गई।AK-47 की भी पूजा मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने की। इसे रूसी इंजीनियर मिखाइल टिमोफेयविच कलाश्निकोव ने बनाया था। सन 1947 में इस गन को रशियन आर्मी ने इस्तेमाल करना शुरू किया तो इसे नाम दिया गया AK – 47। इसमें ए से ऑटोमेटिक और के से वैज्ञानिक कलाश्निकोव का नाम जुड़ा है। सन 47 में इस्तेमाल में आने की वज से ये नंबर जुड़ा। ये बंदूक दुनिया में सबसे ज्यादा आतंकियों के खात्मे में इस्तेमाल हुई है।
AK 47 की पूजा की गई।क्यों पूजे जाते हैं हथियार हथियारों की पूजा की इस परंपरा का नाता रामायण काल से है। मान्यता है कि जब प्रभु श्री राम ने माता सीता को दशानन रावण की कैद से मुक्ति दिलाने के लिए युद्ध कर रावण का वध किया था तब श्री राम ने उस युद्ध पर जाने से पहले शस्त्र की पूजा की थी।
ये भी माना जाता है कि जब माता दुर्गा ने महिषासुर नाम के असुर का वध कर बुराई का अंत किया था तो उसके बाद देवताओं ने भी माता दुर्गा के शस्त्रों की पूजा आराधना की थी।इतिहासकार बताते हैं कि राजा विक्रमादित्य ने दशहरे के दिन देवी हरसिद्धि की आराधना की थी। छत्रपति शिवाजी ने भी इसी दिन मां दुर्गा को प्रसन्न करके भवानी तलवार प्राप्त की थी।
इस वजह से इस दिन शस्त्रों को पूजकर शक्ति की उपासना की जाती है।मुख्यमंत्री निवास में रखे गए हथियार।इस तरह की जाती है शस्त्र पूजा शस्त्र पूजा के शस्त्रों को इकट्ठा किया जाता है फिर उनपर गंगाजल छिड़का जाता है। इसके बाद सभी शस्त्रों को हल्दी व कुमकुम का तिलक लगाकर फूल अर्पित किए जाते हैं। शस्त्र पूजा में शमी के पत्ते का बहुत महत्व है। शमी के पत्तों को शस्त्रों पर चढ़ाकर उनकी पूजा की जाती है।
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