रतन टाटा को लेकर आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन ने जो कहा आपको जरूर सुनना चाहिए

राजेन्द्र देवांगन
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रतन टाटा और कुमार मंगलम बिरला

दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के निधन से पूरी दुनिया में शोक की लहर है। छह महाद्वीप के 100 से ज्यादा देशों में कारोबार करने वाले रतन टाटा अपने समझ और सोच के चलते सभी के लिए एक प्रेरणा थे।

बुधवार रात 11.30 बजे उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। रतन टाटा का पार्थिव शरीर मुंबई में NCPA लॉन में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। सुबह 10 बजे से लोग उनके दर्शन कर रहे हैं और यह सिलसिला दोपहर 3.30 बजे तक जारी रहेगा। इसके बाद रतन टाटा का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला भी रतन टाटा के अंतिम दर्शन और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए एनसीपीए लॉन पहुंचे। यहां से निकलने के बाद उन्होंने कहा, “यह देश के लिए बहुत बड़ी क्षति है।

न केवल कॉरपोरेट इंडिया के लिए बल्कि पूरे देश के लिए। उनके काम का प्रभाव अद्वितीय है। हमें उन्हें उनके काम की समृद्धि के माध्यम से याद रखना चाहिए। हम कई साल पहले कई बार मिले थे। वह शांत, मितव्ययी थे और हमेशा देश के हित में सोचते थे।”

अनन्या बिड़ला ने कही विरासत आगे बढ़ाने की बात

रतन टाटा को श्रद्धांजलि देते हुए उद्यमी अनन्या बिड़ला ने कहा “वे एक दूरदर्शी व्यक्ति थे। उन्होंने इतने सालों तक कड़ी मेहनत और अनुशासन का पालन किया। उम्मीद है कि हम सभी कड़ी मेहनत करेंगे और उनकी विरासत को आगे ले जाएंगे।”

भावुक हुए पीयूष गोयल

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल रतन टाटा के साथ अपनी यादें याद करते हुए भावुक हो गए, उन्होंने कहा, “140 करोड़ भारतीय और दुनिया उन्हें प्यार करती है। मुझे याद है कि जब वे एक बार मुंबई में नाश्ते के लिए घर आए थे, तो हमने केवल एक साधारण इडली, सांभर, डोसा परोसा था, लेकिन वे बहुत आभारी थे। मेरा मतलब है, उनके पास दुनिया के सबसे बेहतरीन रसोइये होंगे। लेकिन वे उस साधारण नाश्ते की बहुत सराहना करते थे। वे परिवार में हम सभी के प्रति बहुत दयालु थे।

वे नाश्ता परोसने वाले सर्वर के प्रति बहुत दयालु थे और घर पर बिताए गए कुछ खूबसूरत घंटों के अंत में, जब वे जा रहे थे, तो उन्होंने मेरी पत्नी से बहुत प्यार से पूछा “क्या आप मेरे साथ एक तस्वीर लेना चाहेंगी?” हम वास्तव में ऐसा करना चाहते थे, लेकिन पूछने में शर्म आ रही थी। उन्होंने हमें यह पेशकश की और ये छोटे-छोटे विचारशील इशारे ही हैं जो उन्हें रतन टाटा बनाते हैं। 140 करोड़ भारतीय जिन्हें प्यार करते हैं और दुनिया उन्हें प्यार करती है।”

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