बिलासपुर। शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर आई है। हाई कोर्ट ने 55 वर्ष से अधिक उम्र वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को नक्सल प्रभावित और अनुसूचित क्षेत्रों में स्थानांतरित न करने का आदेश दिया है। यह फैसला महासमुंद जिले की लेखाधिकारी कविता चिंचोलकर की याचिका पर सुनवाई के दौरान लिया गया, जिनका तबादला महासमुंद से कांकेर जिले में किया गया था।
मामले की पृष्ठभूमि
महासमुंद निवासी कविता चिंचोलकर, जो वित्त विभाग में लेखाधिकारी के पद पर कार्यरत थीं, का 16 अगस्त 2024 को छत्तीसगढ़ शासन द्वारा कांकेर जिले में स्थानांतरण किया गया। कविता ने इस आदेश को चुनौती देते हुए बिलासपुर हाई कोर्ट में अधिवक्ता अभिषेक पांडेय और देवांशी चक्रवर्ती के माध्यम से याचिका दायर की।
याचिका में यह तर्क दिया गया कि वर्तमान में कविता चिंचोलकर की उम्र 61 वर्ष और 7 माह है, और 31 जनवरी 2025 को वह सेवानिवृत्त होने वाली हैं। उन्होंने कहा कि इस उम्र में नक्सल प्रभावित कांकेर जिले में काम करना उनके लिए मुश्किल होगा और इससे उनकी सेवानिवृत्ति संबंधी प्रक्रियाओं में भी देरी हो सकती है।
राज्य शासन का सर्कुलर
छत्तीसगढ़ शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 3 जून 2015 को जारी सर्कुलर में स्पष्ट किया गया है कि 55 वर्ष से अधिक उम्र वाली महिला शासकीय कर्मचारियों को नक्सल प्रभावित और अनुसूचित क्षेत्रों में स्थानांतरित नहीं किया जाएगा। इसके बावजूद, राज्य के वित्त विभाग द्वारा इस सर्कुलर का उल्लंघन करते हुए कविता का तबादला कांकेर किया गया।
हाई कोर्ट का निर्णय
जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की सिंगल बेंच में हुई सुनवाई के बाद, हाई कोर्ट ने राज्य शासन के तबादला आदेश को निरस्त कर दिया और कविता चिंचोलकर को पुनः महासमुंद जिले में पदस्थ करने का आदेश दिया। कोर्ट ने राज्य शासन के सर्कुलर का पालन न करने पर भी सवाल उठाए और यह निर्णय दिया कि 55 वर्ष से अधिक उम्र वाले अधिकारियों और कर्मचारियों का नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थानांतरण नहीं किया जाएगा।
यह फैसला राज्य के शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत माना जा रहा है, खासकर उन कर्मचारियों के लिए जो सेवानिवृत्ति के निकट हैं।
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