आखिर क्यों खूंखार हुए भेड़िए  यूपी बिहार में ही क्यों होते हैं हमले

राजेन्द्र देवांगन
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उत्तर प्रदेश के बहराइच में भेड़ियों का आतंक खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। भेड़ियों ने फिर एक बच्ची को अपना शिकार बना लिया। भेड़िए बच्ची के दोनों हाथ खा गए और बच्ची की मौत हो गई। एक बुजुर्ग महिला पर भी भेड़ियों ने हमला बोल दिया। मगर क्या आप जानते हैं कि एक समय पर भेड़िए इंसानों के बेहद करीब हुआ करते थे। तो अब आखिर ऐसा क्या हुआ भेड़िए इतने खूंखार हो गए और उन्होंने इंसानों को ही अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया?

40 साल बाद इंसानों पर बोला हमला
आंकड़ों की मानें तो भारत में सालाना 50 लोग बाघ का आहार बनते हैं, तो जंगली सुअर और तेंदुए 100 लोगों की जान लेते हैं। इसके अलावा सांप के काटने से 50 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। मगर इस फेहरिस्त में भेड़िए का नाम कभी शामिल नहीं था। 1980 के दशक में बिहार और उत्तर प्रदेश से भेड़ियों के हमले के 2 मामले सामने आए थे। 40 साल बाद यूपी के बहराइच पर भेड़ियों का खतरा मंडरा रहा है। आखिर इसकी क्या वजह है?

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भेड़ियों से हुआ कुत्तों का जन्म

वास्तव में भेड़िए काफी शर्मीले स्वाभाव के होते हैं और वो इंसानों से दूर रहना पसंद करते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि भेड़िए लाखों-करोड़ों साल से धरती पर हैं। उस दौरान ना सिर्फ इंसान बल्कि बाघों का भी पृथ्वी पर कोई अस्तित्व नहीं था। इंसानों के सबसे अच्छे दोस्त कहे जाने वाले भेड़ियों से ही कुत्तों का जन्म हुआ है। जी हां, 15-30 हजार साल पहले लोगों ने भेड़ियों का पालना शुरू किया और धीर-धीरे इन्होंने कुत्तों का रूप ले लिया, यानी कुत्ते भी भेड़ियों की ही प्रजाति हैं।
विलुप्त होने वाले हैं भेड़िए

बता दें कि भारतीय भेड़िए विलुप्ति की कगार पर हैं। भेड़ियों की संख्या बाघों से भी कम बची है। IUCN ने भेड़ियों को इंडेंजर्ड यानी खतरनाक कैटेगरी में रखा है। मगर उनपर किसी ने कभी ध्यान क्यों नहीं दिया? भेड़िए अब गलत वजहों से चर्चा में आ गए हैं। मगर सच यह है कि बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण के कारण भेड़ियों का अस्तित्व अब खतरे में पड़ गया है। यही वजह है कि भेड़िए जंगलों से निकलकर इंसानों की बस्तियों में घुस रहे हैं और इंसानों को अपना निशाना बनाने से भी नहीं चूकते हैं।

सात राज्यों में अधिक है भेड़ियों की जनसंख्या
राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में भेड़ियों की तादाद सबसे अधिक है। मगर हैरानी की बात यह है कि इन राज्यों में कभी भेड़ियों के हमले की खबर सामने नहीं आई। जाहिर है सातों राज्यों में भेड़ियों के रहन-सहन को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है, इसलिए वो ना सिर्फ इंसानों से दूर रहते हैं बल्कि उनकी संख्या भी अधिक है।

जंगल से क्यों बाहर निकल रहे हैं भेड़िए?
भेड़िए हर 3-5 दिन में किसी जंगली जानवर का शिकार करते हैं। उन्हें पेट भरने के लिए एक समय पर 6-9 किलो मांस की जरूरत होती है। भेड़िए आमतौर पर हिरण, खरगोश और रेंगने वाले जीवों को अपना शिकार बनाते हैं। यह शिकार लाइवस्टॉक, खेती, शहरीकरण, उद्योगीकरण और खादानों की भेंट चढ़ने लगे। ऐसे में भेड़ियों ने बकरी, भेड़ और गाय-भैंसों के बच्चों को आहार बनाना शुरू किया। मगर यह जानवर भी अब इंसानों के खाते आ गए हैं। लिहाजा भेड़िए जंगल से बाहर निकल कर इंसानों की बस्ती में घूमने पर मजबूत होने लगे हैं।

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